सुखपाल खैहरा के बाद पार्टी छोडने वाले दूसरे विधायक
मास्टर बलदेव सिंह द्वारा केजरीवाल को भेजे गए पत्र का सार यह है कि अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी मिशन से जन्मी आम आदमी पार्टी अब राजनीतिक अवसरवाद में खो गई है। पार्टी ने अपनी मूल विचारधारा और सिद्धांत छोड दिए है। सुखपाल खैहरा के बाद मास्टर बलदेव सिंह पार्टी छोडने वाले दूसरे विधायक हैं। सुखपाल खैहरा ने पंजाबी एकता पार्टी का गठन किया है। इससे पहले सुखपाल खैहरा को पार्टी से निलंबित किया गया था। मास्टर बलदेव सिंह सुखपाल खैहरा के करीबी सहयोगी है।
केजरीवाल को भेजे गए पत्र में छलका दर्द
मास्टर बलदेव सिंह ने केजरीवाल को भेजे पत्र में कहा है कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए मुझे दर्द का अनुभव हो रहा है लेकिन पार्टी ने अपनी विचारधारा और मूल सिद्धांतों को पूरी तरह छोड दिया है। उन्होंने कहा है कि अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने मुझे गहराई से प्रभावित किया था और इसीलिए मैंने आम आदमी पार्टी में शामिल होने का फैसला किया था। देश और पंजाब के सामाजिक-राजनीतिक हालात बदलने के लिए मैंने अपनी सरकारी सेवा छोडने का फैसला किया था। प्रधानाध्यापक पद पर मेरी चार साल की सेवा बाकी थी। मैंने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के बडे वायदों पर भरोसा कर अपने परिवार को परेशान किया और अपना भविष्य अनिश्चित किया।
मास्टर बलदेव सिंह ने पंजाब में आम आदमी पार्टी के संचालन के तरीके पर सवाल उठाए है। पत्र में उन्होंने कहा है कि पंजाब के लोगों पर भरोसा करने और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में चार सांसद चुनकर भेजने के बावजूद पंजाबियों की आवाज दबाने के लिए बाहर से टीम भेज दी गई। इस टीम के दो सूबेदारों ने अपने चहेतों के फायदे के लिए हरएक छोटा तरीका अपनाया। इन लोगों पर धन वसूली,भाई-भतीजावाद,पक्षपात से लेकर महिलाओं के शोषण तक के आरोप लगाए गए। पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस बारे में शिकायतें पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन आपने आंखें बन्द कर लीं। पार्टी नेतृत्व के इस रवैये का यह नतीजा हुआ कि पंजाब विधानसभा के वर्ष 2017 के चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पडा। इस हार से कुछ सीखने के बजाय पंजाब में पार्टी की बागडोर फिर दुर्गेश पाठक जैसे चालाक नेताओं को सौंप दी गई है।
खैहरा को पद से हटाने की बात का भी किया जिक्र
पत्र में मास्टर बलदेव सिंह ने सुखपाल खैहरा को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाए जाने का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि सुखपाल खैहरा को अलोतांत्रिक तरीके से हटाया गया। विधायकों को विश्वास में नहीं लिया गया। विधायकों पर दवाब डालकर व्हाट्सएप्प के जरिए भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गए। कुछ विधायकों को टेलीफोन कर बुलाया गया पर मुझे तो बुलाया ही नहीं गया। खैहरा को हटाए जाने के पीछे दलित हरपाल चीमा को नियुक्त करना बताया गया पर वास्तव में पंजाब में पार्टी के पदों और दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री और पार्टी संयोजक पद या फिर राज्यसभा में भेजे गए पार्टी के सदस्यों में दलित शामिल नहीं है।
उन्होंने पत्र में कहा है कि दोहरे मानदण्ड अपनाते हुए पंजाब के ड्रग मामले में दागी पूर्व अकाली मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगी गई है। सभी अधिकार अपने हाथ में रखते हुए स्वराज का वायदा भी नकार दिया गया है। पार्टी संयोजक पद पर बने रहने के लिए पार्टी संविधान को भी छोड दिया गया है। कांग्रेस के साथ बनाए जा रहे संबंध राजनीतिक अवसरवादिता है और इससे देश के लोग चौंके हुए है। आपके तानाशाही और मनमाने रवैये के कारण प्रशान्त भूषण,योगेन्द्र यादव,मेधा पाटकर,किरण बेदी,डॉ गांधी,एचएस फूलका,सुचा सिंह छोटेपुर,गुरप्रीत घुग्गी,आशीष खेतान,आशुतोष,एचएस फूलका ने पार्टी छोडी है।