विजिलेंस की ओर से वर्ष 2016-17 से लेकर 2018-19 तक छात्रों को दी जा रही स्कॉलरशिप की जांच की जा रही है। बताया जाता है कि छात्रों के आधार नंबर बदलकर यह फर्जीवाड़ा किया गया और कई फर्जी छात्रों के नाम पर स्कॉलरशिप जारी की गई। अनुसूचित जाति के लाभपात्रों को 230 रुपये से 1200 रुपये प्रतिमाह तक छात्रवृति और सभी नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है। इसी प्रकार पिछड़े वर्ग के छात्रों को 160 रुपये से 750 रुपये तक प्रतिमाह और सभी नॉन रिफंडेबल फीस दी जाती है। वर्ष 2017-18 से टयूशन फीस का 25 प्रतिशत या 5 हजार रुपये से जो भी कम है, दिया जाता है। वर्ष 2016 से ऑनलाइन छात्रवृत्ति कर दी गई जिसके बाद पूरा खेल उजागर हो गया।
आतंकवाद से खतरे में पड़े इस वन्यजीव को बचाएगा कश्मीर प्रशासन दूसरे प्रदेशों से भी जुड़े तार
इस मामले में पिछले साल विभाग के तत्कालीन निदेशक संजीव वर्मा ने छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा किया था, जिसके तार दूसरे प्रदेशों से भी जुड़े थे। ब्यूरो के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एससी-बीसी वेलफेयर डिपार्टमेंट के जिन अफसरों पर केस दर्ज हुआ है उनमें पूर्व उपनिदेशक अनिल कुमार व राजिंद्र सिंह के अलावा सेवानिवृत्त जिला कल्याण अधिकारी बलवान सिंह शामिल हैं।
वर्ष 2017 में ट्रिगामा कंपनी का अनुबंध खत्म होने पर एचकेसीएल कंपनी से इस कार्य के लिए अनुबंध किया था, जिसके अनुसार छात्र को कंपनी द्वारा बनाए गए पोर्टल पर जाकर अपना यूजर आइडी एवं पासवर्ड बनाकर अपना आवेदन करना होता है और विभाग द्वारा जारी शर्तों को पूरा करना होता है। उसके बाद संस्थान छात्र से आवेदन की जांच करने के बाद आवेदन को जिला कल्याण अधिकारी के पोर्टल पर भेज देता है। हरियाणा से बाहर पढऩे वाले छात्र अपना आवेदन जिला कल्याण अधिकारी के पास आकर भरते हैं।
इसके अलावा भिवानी में रहे पंचकूला के जिला कल्याण अधिकारी विनोद कुमार चावला, भिवानी में रहे नारनौल के जिला कल्याण अधिकारी सुरेश कुमार, चंडीगढ़ मुख्यालय में कार्यरत निलंबित सहायक बिलेंद्र सिंह और सोनीपत जिला कल्याण अधिकारी कार्यालय के निलंबित लेखाकार कम लिपिक सुरेंद्र कुमार शामिल हैं। साथ ही विभाग के ही तेजपाल, अरविंद सांगवान, राजकुमार, अशोक कुमार और सुनील कुमार पर एफआइआर दर्ज कराई गई है। तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर अनिल कुमार और राजेंद्र सांगवान, सहायक बलेंद्र सिंह, लेखाकार सुरेंद्र कुमार और रिटायर्ड जिला कल्याण अधिकारी बलवान सिंह का नाम रोहतक में दर्ज हो चुकी एफआइआर में भी शामिल है।
राज्य सतर्कता ब्यूरो की ओर से इससे पहले रोहतक, सोनीपत और झज्जर में हुए घोटाले को लेकर रोहतक और यमुनानगर में मिली अनियमितता को लेकर पंचकूला विजिलेंस थाने में एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। जांच में अभी तक इन जिलों में 26 करोड़ रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आ चुका है, जबकि अन्य जिलों में जांच अभी चल रही है।