scriptअब फोकस में आई है पंजाब में जल प्रदूषण की समस्या | Problem of water pollution in Punjab | Patrika News

अब फोकस में आई है पंजाब में जल प्रदूषण की समस्या

locationचंडीगढ़ पंजाबPublished: May 24, 2018 11:22:32 pm

जल प्रदूषण ने टनों जलीय जीवों की जान ले ली और सिंचाई व पीने के पानी की समस्या पंजाब व राजस्थान की बडी आबादी के लिए पैदा कर दी।

water pollution

अब फोकस में आई है पंजाब में जल प्रदूषण की समस्या

चंडीगढ। पंजाब में जल प्रदूषण की समस्या अब फोकस में आ गई है। पिछले 17 मई को ब्यास नदी में एक शुगर मिल से शीरे के रिसाव के कारण फैले जल प्रदूषण ने टनों जलीय जीवों की जान ले ली और सिंचाई व पीने के पानी की समस्या पंजाब व राजस्थान की बडी आबादी के लिए पैदा कर दी। इस घटना ने पंजाब के कमजोर प्रदूषण नियंत्रण तंत्र को सामने ला दिया है। अब प्रदूषण नियंत्रण के लिए अदालती सक्रियता भी सामने आई है। ब्यास नदी में शीरे के रिसाव की घटना पर संज्ञान लेते हुए नेशनल ग्रीन ट्ब्यिूनल ने पंजाब और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किए है।


पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने करीब एक साल पहले प्रदेश की प्रदूषण फैला रहीं सभी औद्योगिक इकाइयों को उपचार सयंत्र लगाने के लिए नब्बे दिन का नोटिस दिया था। लेकिन बोर्ड अब तक ऐसे उद्योगों पर कार्रवाई करने में नाकाम रहा है।

हाल में ब्यास नदी में शीरे के रिसाव की घटना ने प्रदूषण नियंत्रण तंत्र की सारी कमजोरी का खुलासा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 22 फरवरी 2017 को देशभर के उद्योगों को उपचार सयंत्र लगाने के लिए तीन माह का समय दिया था। उपचार सयंत्र न लगाने पर उद्योग न चलाने देने की चेतावनी भी दी गई थी। बार-बार स्मरणपत्र और नोटिस भेजे जाने के बाद भी कई उद्योग अपना अपशिष्ट बहते पानी में छोड रहे है। कुछ उद्योग अपना रासायनिक अपशिष्ट भूमिगत बोर में डाल रहे है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना कराने के लिए ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उपचार सयंत्र लगाने के लिए नब्बे दिन का नोटिस दिया था लेकिन हाल बदला नहीं।


प्रदेश के कई शहरों में घरेलू अपशिष्ट भी उपचार सयंत्र लगाए जाने के बाद संग्रहित वर्षाजल में मिल रहा है। इस मामले में मोगा शहर का उदाहरण सामने है। वहां वर्ष 2013 में 27 करोड रूपए की लागत से सीवेज ट्ीटमेंट प्लांट लगाए जाने के बाद भी घरेलू अपशिष्ट शु़द्ध पानी के स्रोतो को प्रदूषित कर रहा है। उधर पर्यावरण मंत्री ओपी सोनी का कहना है कि उनको विभाग संभाले हुए सिर्फ एक माह हुआ है।

सभी कुछ ठीक करने के लिए कम से कम छह माह का समय चाहिए। सभी उद्योगों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी। सोनी ने स्वीकार किया कि पंजाब में जल प्रदूषण की समस्या अति गंभीर है। जालंधर जिले के शाहकोट स्थित पर्यावरणविद बलबीर एस सीचेवाल के डेरे के दौरे के समय सोनी ने स्वीकार किया कि शाहकोट और आसपास के गांवों में जल प्रदूषण कैंसर कारक है। उन्होंने बताया ब्यास नहीं में शीरे के रिसाव से हुए प्रदूषण पर जांच कमेटी की रिपोर्ट मिल गई है। इसके आधार पर नेशनल ग्रीन ट्ब्यिूनल को बताया जाएगा कि दोषी मिल के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।


दूसरी ओर वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि ब्यास नहीं में शीरे के रिसाव से लुप्त प्राय प्रजाति की सैकडों मछलियों के मारे जाने से प्रवासी पक्षियों के प्रवास पर भी खतरा मंडरा गया है। प्रवासी पक्षियों को अब अपने भोजन के लिए मछलियां नहीं मिलेंगी। शीरे के रिसाव से ब्यास नदी में कम से कम दस प्रजाति की मछलियां मारी गईं। शीरे मिला पानी 21 हजार एकड में फैले हरिके पक्षी अभयारण्य में भी प्रवेश कर गया है।

प्रवासी पक्षी यहां नवम्बर में आते है और फरवरी के अंत तक ठहरते है। पिछले सात दशक से हरिके का 41 एकड का दलदल पक्षियों का शिकार स्थल बना हुआ है। यहां 400 प्रजाति के पक्षियों का आवास है। हर साल शीतकाल में यहां 90 प्रजाति के एक लाख प्रवासी पक्षी आते है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो