अमरिंदर सिंह ने कहा कि केजरीवाल राजनीतिक नौटंकी बंद कर तथ्यों पर गौर करें। उन्होंने कहा कि हर साल दिसंबर और जनवरी के दौरान दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से अधिक रहता है, जबकि इस दौरान पंजाब में पराली नहीं जलाई जाती है। इससे साफ है कि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता अपने ही स्रोतों से प्रभावित होती है। इनमें वाहनों से छोडा जाने वाला धुंआ, निर्माण गतिविधियां,औद्योगिक गतिविधियां, पावर प्लांट,शहरी ठोस कचरे को जलाना और सफाई गतिविधियां शामिल है।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी सरकार की हर मोर्चे पर बुरी तरह नाकामी को छिपाने के लिए केजरीवाल ने यह एक और उपाय अपनाया है। उन्होंने कहा कि भारतीय मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर पर हवाएं उत्तर-पश्चिम के बजाय पूर्वी आ रही है। तब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का मुश्किल ही कोई असर होगा। पराली जलाने से पीएम-2 में होने वाली बढोतरी अनुपात में पीएम-10 के मुकाबले कम है।
उन्होंने कहा कि यदि पंजाब में पराली का जलाया जाना ही दिल्ली में वायु प्रदूषण का कारण होता तो पंजाब के शहरों में भी वायु प्रदूषण होता। इस तरह केजरीवाल वायु प्रदूषण रोकने में अपनी नाकामी का दोष पंजाब पर थोप रहे हैं। केजरीवाल के इस प्रयास को पंजाब की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। आने वाले लोकसभा चुनाव में केजरीवाल को पता चलेगा कि लोग उनके और पार्टी के बारे में क्या सोचते है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि केजरीवाल पिछले साल के विधानसभा चुनाव से ज्यादा बुरे नतीजों का सामना करने के लिए तैयार रहे।