अभी चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है। कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने केन्द्रीय गृृहमंत्री को शुक्रवार को भेजे पत्र में कहा है कि चंडीगढ़ पंजाब को सौंपकर दो पडोसी राज्यों के बीच लम्बे समय से चले आ रहे क्षेत्रीय विवाद का समाधान किया जाए। अमरिंदर सिंह ने कहा है कि चंडीगढ मूलतः पंजाब की राजधानी है और अन्य कोई राज्य इस पर दावा नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि पंजाब पुनर्गठन कानून 1966 के आने पर पैदा हुए क्षेत्रीय विवाद अब तक अनसुलझे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके केन्द्रीय गृृहमंत्री से पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ के संसाधनों के संतुलित बटवारे की मांग से दोनों राज्यों के बीच यह संतुलन बाधित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस अवधि में अधिकारियों की नियुक्ति समेत केन्द्र शासित चंडीगढ के संसाधनों का हरियाणा और पंजाब के बीच संतुलित बटवारा हुआ है। साथ ही पंजाब ने कडे संघर्ष से शांति भी बहाल करने में सफलता हासिल की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से हाल के कुछ वर्षों से इस अच्छे संतुलन को बिगाडने के प्रयास किए जा रहे है। केन्द्रीय गृृहमंत्रालय चंडीगढ के प्रशासन में केन्द्रशासित प्रदेश संवर्ग और अन्य केन्द्रशासित संवर्गों के अधिकारियों को नियुक्त कर रहा है। पूर्व निर्धारित अनुपात में पंजाब और हरियाणा के पुलिस उपअधीक्षक नियुक्त करने के बजाय केन्द्रशासित संवर्ग के पुलिस उपअधीक्षक नियुक्त करने का फैसला किया गया है। ऐसे निर्णय टाले जा सकते हैं क्योंकि इनसे क्षेत्र में अशांति फैल सकती है।
चंडीगढ में केन्द्रशासित प्रदेश संवर्ग के अधिकारियों की संख्या बढाते हुए हरियाणा और पंजाब के अधिकारियों के लिए आवंटित विभाग कम किए गए है। पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं घटाई जाना चाहिए। चंडीगढ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पहले की तरह जिले का पुलिस अधीक्षक माना जाना चाहिए। हाल में पंजाब संवर्ग के आईपीएस चंडीगढ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक-कानून-व्यवस्था तक सीमित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय गृृहमंत्री को कहा है कि मुद्यों पर विचार कर आदेश जारी किए जाएं।