पंजाब में अकाली दल के नेतृत्व की सरकार के रहते अक्टूबर 2015 में गुरूग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाएं शुरू हुई थीं। इन घटनाओं के विरोध में फरीदकोट जिले के बेहबल कलां और कोटकपुरा में प्रदर्शन करने के लिए सिख जमा हुए थे तो पुलिस ने उन पर फायरिंग की थी। इस फायरिंग में बेहबल कलां में दो सिख मारे गए थे। कुछ अन्य घायल हुए थे। इन घटनाओं पर मौजूदा कांग्रेस सरकार द्वारा गठित रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह के कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन अकाली दल सरकार पर अंगुली उठाई है। इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कमीशन की रिपोर्ट पर सदन में बहस कराने का ऐलान किया था।
अभी विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है। दो दिन के अवकाश के बाद सोमवार से शुरू हो रही सदन की बैठक में कमीशन की रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है। अब कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती है तो धरातल पर कोई कार्रवाई करके भी दिखाना होगी।
एक कांग्रेस विधायक के अनुसार पार्टी विधायकों ने मुख्यमंत्री को कहा है कि जब लोगों को पता है कि गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में अकाली नाकाम रहे तो अब जो बात महत्वपूर्ण है वह यह कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एक अन्य कांग्रेस विधायक ने कहा कि हमें यह मालूम है कि कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर अकाली नेताओं को जेल नहीं भेजा जा सकता है। लेकिन यह पर्याप्त होगा कि मुख्यमंत्री सदन में बहस पर अपने जवाब में बादलों को फटकार लगाएं। यह आश्वासन दिया गया है कि मुख्यमंत्री बहस पर अपने जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और सुखवीर बादल को फटकार लगायेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में दोषी पाए जाने वालों को बख्शा नहीं जायेगा।
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस और अकाली दल इस मामले में मिलकर खेल कर रहे है। कांग्रेस विधायक चाहते है कि सरकार आम आदमी पार्टी को गलत साबित करे। कमीशन की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने से पहले लीक हुई और लीक होने के मामले की जांच के लिए केबिनेट सब कमेटी के गठन में देरी हुई। इससे भी यह संदेश गया कि अकाली नेताओं को बचाव के लिए समय दिया गया।