पंजाब के मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को ही राज्यपाल के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। पार्टी नेताओं ने राज्यपाल से निजी शुगर मिलों में तुरन्त पिराई शुरू करवाने और किसानों को गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य दिलवाने की मांग की है। राज्य समर्थित मूल्य अगेती गन्ना फसल के लिए 310 रूपए प्रति क्विंटल है। इसी गन्ना किस्म के लिए केन्द्र समर्थित मूल्य 275 रूपए प्रति क्विंटल है। शुगर मिल मालिक बाजार में सुगर के दामों में गिरावट का हवाला देकर राज्य समर्थित मूल्य 310 रूपए प्रति क्विंटल देने को तैयार नहीं है। वे केन्द्र समर्थित मूल्य 275 रूपए प्रति क्विंटल देने को तैयार है। लेकिन गन्ना पैदा करने वाले किसान राज्य समर्थित गन्ना मूल्य ही लेना चाहते है। किसान निजी मिलों में गन्ना पेराई तुरन्त शुरू करने की मांग कर रहे है।
आंदोलन की राह पर किसान
निजी शुगर मिलों और किसानों के बीच इस गतिरोध के चलते किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। पंजाब के माझा और दोआबा इलाकों में किसान राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजमार्गों पर धरने पर बैठ गए है। पुलिस ने कुछ स्थानों पर इस तरह धरना शुरू करने पर किसानों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए है। किसान नेता राज्य समर्थित मूल्य मिलने तक न केवल धरना जारी रखने बल्कि आंदोलन का दायरा और बढाने का ऐलान कर रहे है। किसान नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने इस साल गन्ना मूल्य नहीं बढाया है लेकिन निजी शुगर मिल मालिक सरकार पर दवाब बना रहे हे। सरकार इन मिल मालिकों पर कार्रवाई के बजाय किसानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर रही है।
वार्ता कर रही सरकार
राज्य सरकार प्राइवेट शुगर मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों से वार्ता कर रही है। लेकिन एसोसिएशन प्रतिनिधि केन्द्र द्वारा समर्थित गन्ना मूल्य ही देना चाहते है। ऐसे में बात आगे नहीं बढ रही। लेकिन सरकार वार्ता जारी रखे हुए है। मिल मालिक राज्य समर्थित मूल्य देने के लिए राज्य सरकार से प्रति क्विंटल 35 रूपए अनुदान देने की मांग कर रहे है। सरकार इस पर 15 रूपए प्रति क्विंटल तक अनुदान देना मंजूर कर चुकी है। पंजाब में गन्ना पेराई की 70 फीसदी क्षमता निजी मिलों की है। इस साल का गन्ना बुआई क्षेत्र 105000 हेक्टेयर रहा है। गन्ना उत्पादन पिछले साल के 842 लाख क्विंटल के पार जाने की संभावना है।