पेट्रोलियम मंत्रालय के हाइड्रोकार्बन स्किल सेन्टर द्वारा यह फाॅर्म तैयार किया गया है। इस फाॅर्म में आधार नम्बर और आधार से जुडे बैंक के बारे में भी जानकारी मांगी गई है। फाॅर्म भरने की कवायद पूरी होने के बाद प्रत्येक कर्मचारी को स्किल प्रमाणपत्र देने के साथ उसके बैंक खाते में 500 रूपए जमा करवाए जाएंगे।
पेट्रोल पम्प डीलर्स एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष परमजीत सिंह दोआबा ने इसके जवाब में तीनों पेट्रोलियम कम्पनियों को पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि यह हमारा और हमारे कर्मचारियों के अधिकारों का घोर उल्लंघन है। यह कर्मचारियों की निजता व गरिमा का सीधा उल्लंघन है। कर्मचारियों की जाति,धर्म और सालाना आमदनी का ब्यौरा मांगा गया है। इस तरह की जानकारी तो अकेले भारत सरकार और उसकी एजेंसियां ही अधिसूचना के जरिए मांग सकती है। हम भी अपने कर्मचारियों से इस तरह की जानकारी मांगने के लिए अधिकृत नहीं है।
एसोसिएशन के प्रवक्ता गुरमीत मोंटी सहगल ने कहा कि कर्मचारी पेट्रो डीलर्स के है। इसलिए पेट्रोलियम कम्पनियों को उनके बारे में इस तरह की जानकारी मांगने का अधिकार नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या हमारे कर्मचारियों का चुनावी डाटा तैयार किया जा रहा है। कर्मचारी सिर्फ राज्य के श्रम विभाग, ईएसआई और ईपीएफ के लिए उत्तरदायी है। उन्होंने कहा कि यह मामला हाल में तब सामने आया था जबकि लुधियाना के चैकी मान फिलिंग स्टेशन की आपूर्ति रोक दी गई थी। जब एसोसिएशन ने दखल किया तब आपूर्ति शुरू की गई।
पंजाब में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की नोडल एजेंसी कार्पोरेट कम्युनिकेशंस के मुख्य प्रबन्धक आरएन दुबे के अनुसार यह जानकारी हाइड्रोकार्बन सैक्टर स्किल कौंसिल प्रशिक्षण व प्रमाणपत्र मुहैया कराने के लिए जानकारी मांग रही है। लेकिन उन्होंने इस सवाल पर कुछ नहीं कहा कि जाति,धर्म,निर्वाचन क्षेत्र व बैंक के आईएफएससी कोड की क्या जरूरत है।