पंजाब:जॉब में अफसरों के तबादलों पर अनुसूचित जाति आयोग ने किया जवाब तलब
कमीशन ने राज्य सरकार से तबादलों के मानकों पर विस्तार से रिपोर्ट मांगी है...

(चंडीगढ): नेशनल शेडयूल्ड कास्ट्स कमीशन ने हाल में पंजाब में सिविल और पुलिस अफसरों के तबादलों पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कमीशन ने पूछा है कि ये तबादले किन मानकों के तहत किए गए थे। पंजाब में अनुसूचित जाति समुदाय विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भागीदारी का मुद्दा उठाता रहा है। केबिनेट विस्तार के समय भी अनुसूचित जाति विधायकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न दिए जाने की शिकायत उठाई गई थी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तक यह मुद्दा गया था।
केबिनेट में प्रतिनिधित्व के अलावा सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों में भी अनुसूचित जाति को भागीदारी न देने का मुद्दा उठाया गया था। नेशनल शेड्यूल्ड कास्ट एलायंस नामक संगठन के अध्यक्ष परमजीत सिंह कैंथ ने बताया कि हाल में पंजाब सरकार द्वारा किए गए सिविल और पुलिस अधिकारियों के तबादलों का मुद्दा कमीशन के समक्ष उठाया गया था। इस पर कमीशन ने पंजाब के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह को पत्र भेजकर इन तबादलों के लिए अपनाए गए मानकों के बारे में जानकारी मांगी है।
कमीशन ने राज्य सरकार से तबादलों के मानकों पर विस्तार से रिपोर्ट मांगी है। तबादलों में अनियमितताएं पाए जाने पर कमीशन राज्य सरकार के मुख्य सचिव को तलब करेगा। कैंथ ने कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति कल्याण कार्यक्रमों को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। योजना के लक्ष्यों की नाकामी को देखने के लिए भी कोई निगरानी प्रणाली नहीं है। अनुसूचित जाति समुदाय के अधिकारियों को इन समस्याओं की जानकारी है और वे इस दिशा में कुछ अतिरिक्त भी कर सकते है।
पंजाब में अनुसूचित जाति की 35 फीसदी आबादी है। इस क्षमता में समुदाय का राजनीतिक प्रभाव भी है। राजनीतिक दल समुदाय के समर्थन के लिए चुनावी मेनोफेस्टो में खास अहमियत देते है। कैप्टेन अमरिंदर सिंह के नेतृृत्व वाली मौजूदा कांग्रेस सरकार के समय अनुसूचित जाति समुदाय अपनी उपेक्षा का मुद्दा लगातार उठा रहा है।
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