पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपने निलंबन पर सुखपाल खैहरा ने कहा कि यह तानाशाही का कदम है। निलंबन से उनको कोई फर्क नहीं पडने वाला। वे अपनी लडाई जारी रखेंगे। हाल में पार्टी नेतृृत्व ने पंजाब में पैदा हुई गुटबाजी समाप्त करने के लिए पांच सदस्यों की कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी के साथ वार्ता में सुखपाल खैहरा ने अपने गुट के भटिंडा सम्मेलन में पारित प्रस्तावों के अनुसार पंजाब इकाई को स्वायत्तता देने और नेता प्रतिपक्ष का नया चुनाव कराने की मांग दोहराई थी। लेकिन बात बनी नहीं थी। इस पर सुखपाल खैहरा ने पहले 1 नवम्बर तक मांग मानते हुए समझौता करने का अल्टीमेटम दिया था। लेकिन केजरीवाल गुट ने सुखपाल खैहरा गुट को धता बताते हुए लोकसभा चुनाव के पांच प्रत्याशी घोषित करते हुए एकता प्रयासों को नकार दिया था। इसके बाद सुखपाल खैहरा गुट ने आठ नवम्बर तक का अल्टीमेटम दिया था।
आठ नवमबर से पहले ही सुखपाल खैहरा और उनके साथी विधायक कंवर संधू को शनिवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। एक दिन पहले ही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया ने कहा था कि आम आदमी पार्टी में सुखपाल खैहरा का कोई वजूद नहीं है। इससे पहले एक नवम्बर को चंडीगढ में पत्रकारवार्ता में केजरीवाल ने कहा था कि उनकी राजनीति सुखपाल खैहरा केन्द्रित नहीं है। पंजाब में पार्टी की गुटबाजी पर केजरीवाल ने यह भी कहा था कि यह पार्टी के परिवार का मामला है और इसे सुलझा लिया जाएगा।