खैहरा ने पत्रकारवार्ता में कहा कि वर्ष 2015 के बेहबल कलां और कोटकपुरा पुलिस फायरिंग की एसआईटी जांच सिर्फ एक दिखावा है। पूरा पंजाब जानता है कि इस फायरिंग के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल दोषी है। प्रदेश की कैप्टेन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ही इस मामले में दोषी पुलिस अफसरों को कार्रवाई से बचाने के लिए अदालत की रोक का मौका दे रही है। जहां राज्य सरकार के महाधिवक्ता को इस मामले में हाईकोर्ट में पैरवी के लिए मौजूद होना था वहीं वे विदेश यात्रा पर थे। प्रकाश सिंह बादल से एसआईटी ने मात्र कोटकपुरा पुलिस फायरिंग के बारे में पूछा है। बेहबल कलां में हुई पुलिस फायरिंग के बारे में पूछताछ क्यों नहीं की गई? बेहबल कलां पुलिस फायरिंग में तो दो सिख मारे गए थे।
उन्होंने सवाल किया कि चुनाव के समय ही पंजाब में विस्फोट की घटनाएं क्यों हो रही है? पिछले साल विधानसभा चुनाव के समय मोर मंडी में विस्फोट की घटना में आठ बच्चे मारे गए थे। इस विस्फोट का सच सामने नहीं आया है। जैसे ही जांच किसी ताकतवर की ओर बढती है उसे रोक दिया जाता है। पठानकोट हमला,मकसूदा थाना विस्फोट,मोर मंडी विस्फोट और आदिलवाला निरंकारी सत्संग विस्फोट की घटनाओं पर राज्य सरकार को श्वेतपत्र जारी कर सचाई उजागर करना चाहिए। आदिलवाला विस्फोट के दोषियों का सुराग देने वाले को 50 लाख रूपए का इनाम देने का ऐलान किया गया है। इसका मतलब है कि राज्य का खुफिया तंत्र नाकाम हो गया है।
उन्होंने कहा कि आदिलवाला विस्फोट में तीन निर्दोष मारे गए और करीब दो दर्जन घायल हुए। यह घिनौनी व कायराना घटना है। इसकी कडी निंदा करते है।