आज थी आखिरी तारीख
आबकारी विभाग को केवल सात गांवों के नियमानुसार पारित किए गए प्रस्ताव ही मिले हैं। मंगलवार को प्रस्ताव मिलने की आखिरी तारीख थी। दरअसल सरकार गांवों मे शराबबंदी को प्रोत्साहन देने की मंशा का व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। इससे प्रदेश की बड़ी ग्रामीण आबादी को सरकार की योजना का पता नही ंचल सका। अब सरकार दिखावटी तौर पर कम मिले प्रस्तावों को लेकर कवायद करा रही है। मात्र सात प्रस्ताव मिलने पर आबकारी एवं कराधान विभाग के मुख्यालय ने सभी जिलों से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांग ली है।
पंचायतों को नहीं प्रक्रिया की जानकारी
शराब ठेकों के लिए एक अप्रैल से शुरू हुए वर्ष के दौरान कुल 304 पंचायतों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में शराब के ठेके न खोलने के संबंध में प्रस्ताव पारित करके आबकारी एवं कराधान विभाग को भेजा गया। जिनमें से केवल 57 पंचायतों के प्रस्तावों पर ही विभाग ने अपनी स्वीकृति प्रदान करने की मोहर लगाई। 48 पंचायतों द्वारा पारित प्रस्तावों में कई तरह की खामियां होने के चलते उन्हें खारिज कर दिया गया। इसके अलावा 199 प्रस्ताव ऐसे थे जो या तो अधूरे थे या तय समय सीमा के बाद विभाग के पास दाखिल किए गए।
हजारों करोड़ मिलते हैं शराब बिक्री से
हरियाणा सरकार ने वर्ष 2019~20 के लिए 7500 करोड़ रूपए का आबकारी राजस्व का लक्ष्य तय किया था। इसके विपरीत गत वित्तीय वर्ष में यह लक्ष्य 6300 करोड़ रूपए था। शराब से होने वाली इतनी भारी-भरकम आय का सरकार खोना नहीं चाहती। यही वजह है कि सरकार ने ग्रामीण इलाकों में भी आधे-अधूरे मन से योजना पेश की। इस योजना का यदि विधिवत प्रचार किया जाता तो पंचायतों से मिले प्रस्ताव बड़ी संख्या मे ंनिरस्त नहीं होते।
यह है शराब ठेकों की स्थिति
हरियाणा में इस समय शराब के कुल 2259 ठेके हैं। जिनमें से 950 ग्रामीण अंचल में तो 765 शराब ठेके ग्रामीण-अर्बन की संयुक्त सीमा में चल रहे हैं। प्रदेश में कुल 6848 गांव तथा 6222 पंचायते हैं।
बहुत से गांवों ने अपने स्तर पर प्रस्ताव पारित करके जिला स्तरीय कार्यालयों में जमा करवाए हैं। कई जगह ग्रामीणों ने जानकारी के अभाव में जिला उपायुक्त कार्यालयों को प्रस्ताव भेजे हैं। सभी जिलों को निर्देश जारी किए गए हैं कि 15 जनवरी तक रिपोर्ट मांगी गई है। यह रिपोर्ट आने के बाद सभी आवेदनों की छंटनी करके 31 जनवरी तक अंतिम रिपोर्ट तैयार करके नए शराब ठेकों की साइटों का सृजन किया जाएगा।
विवाद का कारण बने हुए हैं ठेके
हरियाणा के गावों में शराब ठेके पिछले कई वर्षों से विवाद का कारण बने हुए हैं। सरकार बनाने में भाजपा को सहयोग करने वाली जननायक जनता पार्टी ने चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में ग्रामीणों की सहमति के बगैर शराब ठेके नहीं खोलने का ऐलान किया था। सत्ता में आने के बाद उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की सिफारिश पर सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पारित करते हुए ऐलान किया था कि आगामी सत्र के दौरान सरकार उन गावों में शराब के ठेके नहीं खोलेगी जहां दस फीसदी आबादी ग्राम सभा करके शराब ठेके के विरोध में प्रस्ताव पारित करेगी।
बढ़ाई थी तारीख
प्रारंभिक रिपोर्ट में पता चला है कि सरकार की आशा के अनुरूप इस योजना को ग्रामीणों का प्रोत्साहन नहीं मिला है। जिसके चलते 15 जनवरी तक सभी जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। सरकार ने हरियाणा वासियों की सुविधा के लिए यह प्रस्ताव पारित करने की तिथि 30 नवंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर की थी। मंगलवार को शराब ठेकों के विरोध प्रस्ताव पारित करने की अंतिम तिथि तक आबकारी विभाग के मुख्यालय के पास तो केवल सात प्रस्ताव ही पहुंचे हैं लेकिन ग्रामीणों ने जिला कार्यालयों में यह प्रस्ताव जमा करवाए हैं।