scriptइस खेती से चमक जाएगी पंजाब के किसानों की किस्मत | This farming will shine the fortunes of the farmers of Punjab | Patrika News

इस खेती से चमक जाएगी पंजाब के किसानों की किस्मत

locationचंडीगढ़ पंजाबPublished: Dec 16, 2019 06:41:39 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

चंदन और ड्रैगन फ्रूट की मिली-जुली खेती एक ऐसा प्रयोग है जो कि समूचे प्रदेश को अधिक पानी वाली गेंहू-धान की खेती से इस प्रगतिशील खेती की ओर मोड सकता है।
 
 
 

Dragan fruit
चंडीगढ(राजेन्द्र जादौन): पंजाब अभी खेती के लिए पानी की कमी से जूझ रहा है। प्रदेश में रावी-ब्यास और सतलुज नदियों के पानी का बटवारा राजस्थान और हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली तक हो जाने की स्थिति में प्रदेश की खेती 14 लाख ट््यूबवैलों पर निभर हो गई है। ऐसी हालत में मानसा जिले के एक किसान अमनदीप सिंह द्वारा अपने फार्म पर चंदन और ड््ैगन फू्रट की मिली-जुली खेती एक ऐसा प्रयोग है जो कि समूचे प्रदेश को अधिक पानी वाली गेंहू-धान की खेती से इस प्रगतिशील खेती की ओर मोड सकता है।
प्रयोग के तौर पर शुरुआत

Dragan Fruit
अमनदीप सिंह का कहना है कि यह एक संयोग ही था कि उन्हें तीन साल पहले अपने मित्रों के साथ सैर के दौरान इस तरह की खेती का प्रयोग देखने को मिला। वे यह प्रयोग देख कर स्वयं भी इसे आजमाने के लिए प्रेरित हुए। बस फिर क्या था उन्होंने चंदन और ड्रैगन फू्रट को एक ही फार्म पर लगाने के लिए काम शुरू कर दिया और यह फसल खडी हुई है।
इतनी है लागत
उन्होंने फार्म पर ही बताया कि ड्रैगन फ्रूट का एक पेड लगाने के लिए प्रति पोल हजार से ग्यारह सौ रूपए तक लागत आती है। अब प्रयास किया जा रहा है कि यह लागत घटकर हजार रूपए से नीचे ही रह जाए। इसी तरह चंदन के पेड पर प्रति पेड 25 हजार से 26 हजार रूपए की लागत आती है। वे सफेद चंदन की खेती कर रहे है। इनके लिए मिट््टी तो किसी भी किस्म की चलेगी लेकिन तापमान 5 से 15 डिग्री तक रहना जरूरी है। ड्रैगन फू्रट तीन साल बाद सही फसल दे पाता है। एक पोल में चार तक पेड लगाए जाते है और एक पोल जून से नवम्बर माह तक तीस से साठ किलो तक फल देता है। फल थोक बाजार में प्रति किलो सौ रूपए तक बेचा जाता है। चंदन का पेड करीब बारह साल में तैयार होता है और इसकी लकडी प्रति किलो दस हजार रूपए तक में बेची जाती है।
पंजाब में हो रही शुरुआत
अमनदीप ने बताया कि जैसे-जैसे लोगों को पता चल रहा है पंजाब के अन्य हिस्सों के लोग उनके इस प्रयोग को देखने के लिए भी आ रहे है। वे खुद ही कहते है कि लम्बे समय तक गेंहू और धान की खेती पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। वे कहते है कि अपने फार्म पर यह प्रयोग उन्होंने स्वयं ही किया है। इसमें सरकारी महकमों की कोई मदद नहीं रही है।
मैक्सिको व अमरीका का मूल निवासी
ड्रैगन फ्रूट का पेड़ दक्षिणी मैक्सिको और मध्य अमेरिका का मूल निवासी है। लेकिन आज, यह पूरी दुनिया में उगाया जाता है। यह कई नामों से जाना जाता है, जिसमें पिताया, पिथाया, और स्ट्रॉबेरी नाशपाती शामिल हैं। इसके दो सबसे आम प्रकारों में चमकदार लाल त्वचा होती है जिसमें हरे रंग की लाइन होती है जो ड्रैगन जैसी दिखती है, इसलिए इसका नामड्रैगन फ्रूट पड़ा। वह सबसे व्यापक रूप से उपलब्ध प्रजाति में काले बीज के साथ सफेद गूदा होता है, हालांकि लाल गूदे और काले बीज के साथ इसका एक कम सामान्य प्रकार भी मौजूद है। ड्रैगन फल विदेशी लग सकता है, लेकिन इसका स्वाद अन्य फलों के समान है। इसके स्वाद को कीवी और नाशपाती के बीच थोड़ा मीठा बताया गया है।
कई रोगों में कारगर
वजन घटाने में मददगार ड्रैगन फ्रूट में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। यह कोलेस्ट्राल कम करता है। इसे कैंसर में लाभकारी माना जाता है। हड्डियों को ताकतवर बनाता है। त्वचा के लिए फायदेमंद है। मधुमेह को नियंत्रित करने मे भी सहायक माना जाता है।
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