उन्होंने कहा कि सन 1950 से यह मुद्दा अदालत में है। पिछले करीब दस साल से मंदिर मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट अब और कितना समय लेगा, स्पष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने दिन-प्रतिदिन सुनवाई की अपील भी नामंजूर कर दी है। इसलिए न्यायालय के जरिए मंदिर निर्माण की उम्मीद नहीं रही है। वार्ता के जरिए मसले को हल करने का विकल्प भी कई बार आजमाया गया है। अब संतों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने कानून के जरिए मंदिर निर्माण की मांग की है। इसलिए विश्व हिन्दू परिषद अब इस मांग को लेकर ही दस्तक देगा।
जैन ने कहा कि परिषद की धर्म संसद आगामी 31 जनवरी को 1 फरवरी को प्रयागराज में बैठक कर इस मुद्ये पर आगे की रणनीति तय करेगी। परिषद चाहती है कि रामजन्म भूमि मंदिर मसले को इस तरह हल किया जाए, ताकि कोई भी पक्ष हारा या जीता हुआ महसूस न करे।
उन्होंने कहा कि परिषद चाहता है कि कांग्रेस व अन्य दल मिलकर राममंदिर निर्माण के लिए संसद में निजी विधेयक पेश करें। उन्होंने बताया कि पंजाब के सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने मंगलवार को ही कानून के जरिए मंदिर बनाने की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन के जरिए केन्द्र सरकार को पंजाब के लोगों की भावनाओं से अवगत करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि परिषद इस मुद्ये की शुरूआत से ही कानून बनाने की मांग कर रहा है। संतों ने सरकार को इस दिशा में प्रयास करने के लिए पर्याप्त समय दिया है। अब जबकि मसला हल होता नहीं दिखाई दे रहा है तो आंदोलन की रूपरेखा तय की गई है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्ये का राजनीतिकरण करने का प्रयास तो उन लोगों ने किया है जो कि सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर चुनाव बाद सुनवाई करने की मांग को लेकर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नजदीकी ने बयान दिया है कि जो मंदिर बनवाना चाहते है, वो अच्छे आदमी नहीं है। उन्होंने कहा कि अब इस बारे में शशि थरूर को नहीं राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए। विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व नेता प्रवीण तोगडिया के अपना अलग संगठन बनाने के सवाल पर जैन ने कहा कि कोई भी किसी पद पर हमेशा नहीं बना रह सकता है। तोगडिया द्वारा अलग संगठन बनाना महत्वाकांक्षा की देन है।