डॉ. मोहन ने पेशे की महत्ता बताते हुए कहा इस पेशा उनका जुनून है न कि केवल व्यवसाय। चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ती प्रौद्योगिकी एवं प्रगति के साथ यह पाठ्यक्रम आज की प्रमुख मांग में शामिल है क्योंकि इससे रोगियों की देखभाल में अंतर को कम करने में मदद मिलती है। वर्तमान में तेजी से बदलते कारोबारी माहौल में कंपनियों को आवेशपूर्ण श्रमिकों की जरूरत है क्योंकि ये लोग ही अत्यधिक एवं सतत प्रदर्शन में सुधार ला सकते हैं।
बीआरटीएस पिलानी की सहायक बीएस फिजीशियन एस. मुबेना ने सर्वाधिक सीजीपीए हासिल की एवं उनको वर्ष २०१७ के राष्ट्रपति द्वारा हर साल अकादमिक उत्कृष्टता के लिए दिए जाने वाले स्वर्ण पदक के लिए चयनित किया गया है। प्रिंसिपल ने स्नातकों को एक शपथ दिलाई। विशिष्ट अतिथि गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी एवं लीवर रोग संस्थान के निदेशक डा. अशोक चाको थे एवं अध्यक्षता मद्रास मेडिकल मिशन के निदेशक (प्रशासन) जॉर्ज चेरियन ने की। समारोह में ११६ स्नातकों को डिग्रियां दी गई।
चुनाव में बार काउंसिल आफ इंडिया को निर्णय का अधिकार
बार काउंसिल आफ इंडिया को यह अधिकार है कि वह तमिलनाडु व पुदुचेरी बार काउंसिल के चुनाव के बारे में कोई भी निर्णय ले सकती है। मद्रास हाईकोर्ट ने यह अंतरिम व्यवस्था दी। जनहित याचिका पर सुनवाई देते हुए न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी व न्यायाधीश अब्दुल कुदहोसे की बेंच ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम 15 (3) के तहत बार कौंसिल आफ इंडिया को इस तरह के निर्णय का अधिकार प्राप्त है। याचिकार्ता ने कहा कि बार काउंसिल के चुनाव के लिए न्यूनतम 10 वर्ष अनुभव की शर्त रखी गई है। लेकिन राज्य बार काउंसिल को किसी तरह के नियम बनाने का अधिकार नहीं है। ऐसे में विशेष कमेटी की ओर से जारी किए गए नियमों को अवैध घोषित किया जाए। उधर कमेटी सदस्य की ओर से न्यायालय को बताया गया कि सभी राज्यों में एक जैसे नियम नहीं है। चुनाव की प्रक्रिया अलग-अलग है। हर राज्य का वातावरण अलग है। उस राज्य की स्थिति एवं हालात को देखते हुए ही अलग-अलग नियम बनाए जाते हैं। इसी कारण तमिलनाडु में 10 साल की अनिवार्यता की गई है।