एनसीबी ने एक बयान में कहा कि एमएमएम नवास और मोहम्मद अफनास को चेन्नई के कारपाक्कम से गिरफ्तार किया गया जहां वे अपनी पहचान बदल कर रह रहे थे। नवास दस और अफनास तीन सालों से भारत में बिना वैध वीजा के बसे थे। इनके खिलाफ श्रीलंका ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा था। दोनों आरोपियों पर एनडीपीएस एक्ट लगाया गया है।
चेन्नई से चल रहा था काज
”अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क होने, खास तौर से अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान के साथ, पूरी जानकारी थी। उपलब्ध तथ्यों की जांच शुरू करने पर पता चला कि मुख्य साजिशकर्ता चेन्नई में रह रहे हैं।
एनसीबी के उपनिदेशक (ऑपरेशंस) के. पी. एस. मल्होत्रा
कई देशों में सिंडिकेट
एनसीबी चेन्नई के अधिकारियों के अनुसार इन दोनों का ड्रग सिंडिकेट पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, श्रीलंका, मालदीव और ऑस्ट्रेलिया तक में फैला हुआ है। दोनों की गिरफ्तारी, २६ नवम्बर २०२० को तुत्तुकुड़ी के निकट भारत की समुद्री सीमा में मछली पकड़ी वाली श्रीलंकाई नौका ‘शेनाया दुवाÓ से ९५.३७ किलो की हेरोइन और छह श्रीलंकाइयों की गिरफ्तारी, से जुड़ी है। इन श्रीलंकाइयों से 18.32 किलोग्राम मेथामफेटामाइन व पांच पिस्तौल और उनकी मैगजीन भी मिली थी। जब्त हेरोइन की कीमत १ हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। बहुराष्ट्रीय हेरोइन सिंडिकेट में नवास और अफनास दोनों, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
एनसीबी चेन्नई के अधिकारियों के अनुसार इन दोनों का ड्रग सिंडिकेट पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, श्रीलंका, मालदीव और ऑस्ट्रेलिया तक में फैला हुआ है। दोनों की गिरफ्तारी, २६ नवम्बर २०२० को तुत्तुकुड़ी के निकट भारत की समुद्री सीमा में मछली पकड़ी वाली श्रीलंकाई नौका ‘शेनाया दुवाÓ से ९५.३७ किलो की हेरोइन और छह श्रीलंकाइयों की गिरफ्तारी, से जुड़ी है। इन श्रीलंकाइयों से 18.32 किलोग्राम मेथामफेटामाइन व पांच पिस्तौल और उनकी मैगजीन भी मिली थी। जब्त हेरोइन की कीमत १ हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। बहुराष्ट्रीय हेरोइन सिंडिकेट में नवास और अफनास दोनों, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
बीच समंदर में लेन-देन
दोनों श्रीलंकाई किंगपिन पाकिस्तानी और ईरानी जहाजों से समुद्री के बीच में मादक पदार्थों की लेन-देन का काम करते थे। उन देशों द्वारा अंकुश लगाने पर दोनों भागकर श्रीलंका पहुंच गए थे। हेरोइन की तस्करी अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान से खरीद कर उसे ईरान और पाकिस्तान के बंदरगाहों से मछली पकड़े वाली जहाजों से रवाना कर की जाती थी। समुद्र के बीच में मादक पदार्थ को श्रीलंका और मालदीव के ऐसे ही जहाजों में हस्तांतरित कर लिया जाता। यह लेन-देन भारत की समुद्री सीमा के बेहद करीब हुआ करता था।