देश में पहली बार दो साल की बच्ची के रीढ़ के विकार की सफल सर्जरी
चेन्नई. कावेरी हास्पिटल में 2 साल की बच्ची के लोवर बैक स्पोंडिलोलिस्थेसिस (स्पाइन डिफारमिटी) का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। बच्ची के एल5एस1 की स्पोंडिलोलिस्थेसिस की स्थिति थी। इसमें एक हड्डी दूसरी हड्डी के ऊपर पूरी तरह से खिसक गई थी। चिकित्सकों का कहना है कि देश में पहली बार ऐसा हुआ है। किसी भी मेडिकल लिटरेचर में इस तरह के विकार के इलाज के बारे में वर्णन नहीं मिलता। इस उम्र में सफल इलाज के कुछ ही मामले सामने आए हैं। हास्पिटल के चिकित्सक डा.जी. बालामूरली ने कहा कि यह स्थिति रीढ़ के लूम्बर रीजन में होती है। बच्चों में यह बहुत ही रेयर होता है। इसके कारण मोबिलिटी में कठिनाई होती है। उन्होंने कहा कि इससे पहले अब तक दुनिया भर में 3 साल के एक बच्चे का इस तरह का मामला रिपोर्ट हुआ है। क्या है स्पोंडिलोलिस्थेसिस लोवर स्पाइन या बैक में यह स्थिति वहां बनती है जहां एक हड्डी दूसरे के ऊपर सरक जाती है जिससे स्पाइनल कोर्ड एवं नर्व रुट कम्प्रेशन होता है। यह अक्सर आघात, जन्मजात समस्याओं एवं डिजेनेरेशन के कारण होता है। किशोरों एवं बढ़ते उम्र के साथ वयस्कों में यह बहुत सामान्य है लेकिन बच्चों में यह बहुत रेयर है। जिसके कारण गंभीर लक्षण सामने आते हैं। चिकित्सकों ने बताया कि इस मामले में बच्ची को अचानक पीठ एवं पैर में दर्द होने लगा। वह चलने फिरने में असमर्थ हो गई। उसके पीठ के निचले हिस्से में गांठ बढ़ने लगा। एमआरआई स्कैन से पता चला कि उसको गंभीर स्पाइन कोर्ड एवं नर्व कम्प्रेशन की समस्या है। इसकी सर्जरी में सबसे बड़ी समस्या छोटी उम्र के कारण अविकसित कोमल हड्डियां थी। उसकी सर्जरी की गई। इसके बाद उसका विकार ठीक हो गया। उसको पीठ एवं पैर के दर्द से निजात मिल गई। सर्जरी के दो महीने के बाद अब वह सीधा चल सकती है और अपनी सामान्य गतिविधि जारी रख सकती है। विभिन्न संस्थाओं ने की मदद बच्ची मछुआरा समुदाय की है। उसका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। ऐसे में विभिन्न स्रोतों से इसके लिए तलीरगल प्रोजेक्ट के जरिए फंडिंग की गई। साथ ही क्राउड फंडिंग की भी मदद ली गई। इस मौके पर कावेरी हास्पिटल के प्रबंध निदेशक डा.मणिवनन सेल्वाराज ने भी विचार व्यक्त किए। सर्जरी करने वाली टीम में डा.कीर्तिवासन भी शामिल थी।