याची की ओर से अधिवक्ता पी. विल्सन ने बहस की कि यह स्थापित है कि अगर श्रमिक लगातार ४८० दिन कार्य कर लेता है तो वह सेवा स्थाईकरण की मांग कर सकता है। उनके मुवक्किलों ने १९९८ से २००९ तक ११ साल लगातार बिना किसी अंतराल के काम किया था। उसके बाद १० अगस्त २०१० से आज तक उनकी सेवाएं निर्बाध हैं। लिहाजा वे सेवा स्थाईकरण के दावे के हकदार हैं और इसे पीछे के दरवाजे से प्रवेश की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
याची ने कोर्ट को बताया कि एनसीटीपीएस १० हजार ऐसे संविदा मजदूरों को काम पर लगाए है। तांजेडको ने जबकि नया नोटिस जारी किया कि ५ हजार पदों के साथ गैंगमैन का नया पद सृजित किया गया है। ऐसा करने से तीन सालों से रिक्त पड़े इतने ही पद समाप्त कर दिए गए। हम जब इतने सालों से रिक्तियां भरने की बात कर रहे हैं तो ५ हजार गैंगमैन पदों के नाम पर मौजूदा रिक्त पदों को समाप्त करने की क्या आवश्यकता थी? इन पदों की न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता पांचवीं पास है। ऐसे कई श्रमिक प्लांट में कार्यरत हैं। उनको इन नए पदों पर भर्ती दी जानी चाहिए थी क्योंकि उनके पास कार्य अनुभव भी है।
अधिवक्ता विल्सन ने हाईकोर्ट को बताया कि प्लांट में सेवारत मजदूरों में से अधिकांश स्थानीय हैं जिन्होंने इसके निर्माण में आवश्यक जमीन का भी योगदान दिया था। ऐसे में समता और न्याय के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए तांजेडको को नए सृजित गैंगमैन पदों पर भर्ती ेंमें पहली प्राथमिकता सेवारत मजदूरों को देनी चाहिए।