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एक साल में २८०७ बाल विवाह!

locationचेन्नईPublished: Aug 25, 2018 11:42:52 am

Submitted by:

Santosh Tiwari

– सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े : सदर्न रीजनल रिसॉर्सेज सेंटर चाइल्ड इंडिया फाउंडेशन के आंकड़ों के अनुसार २०१७-१८ में तमिलनाडु में २८०७ बाल विवाह हुए। यह संख्या २०१७ अप्रैल से मार्च २०१८ तक की है। यह चिंताजनक विषय इसलिए है कि २०१५-१६ के दरम्यान महज ९४० बाल विवाह के मामले सामने आए थे।

चेेन्नई. राज्य में भले ही साक्षरता का प्रतिशत बढ़ रहा हो लेकिन बढ़ती बाल विवाह की घटनाओं ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है। दरअसल इन घटनाओं ने बाल कल्याण विभाग समेत उन सभी स्वयंसेवी संस्थाओं के दावों की कलई खोल दी है कि राज्य में बाल विवाह प्रथा समाप्त हो चुकी है।
सदर्न रीजनल रिसॉर्सेज सेंटर चाइल्ड इंडिया फाउंडेशन के आंकड़ों के अनुसार २०१७-१८ में तमिलनाडु में २८०७ बाल विवाह हुए। यह संख्या २०१७ अप्रैल से मार्च २०१८ तक की है। यह चिंताजनक विषय इसलिए है कि २०१५-१६ के दरम्यान महज ९४० बाल विवाह के मामले सामने आए थे।
चेन्नई जिले में भी
इस लिहाज से सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति सेलम, तेनी, दिंडीगुल, नामक्कल और धर्मपुरी जिले की है जहां पिछले तीन सालों में खूब बाल विवाह हुए। इस अभिशाप से चेन्नई महानगर भी नहीं बच पाया है। चेन्नई जिले में २०१५-१६ में ३८ बाल विवाह हुए थे जो २०१७-१८ में बढक़र ५९ हो गए। जब महानगर का यह हाल है तो अन्य जिलों की स्थिति है। बाल कल्याण विभाग के पक्ष में कुछ गया तो वह उसका प्रयास था जिसके जरिए वह १९८९ बाल विवाह रुकवाने में कामयाब रहा।
जागरूकता अभियान का असर
सदर्न रीजनल रिसॉर्सेज सेंटर चाइल्ड इंडिया फाउंडेशन की प्रमुख अनुराधा विद्याशंकर के अनुसार सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियान की वजह से बाल विवाह में कमी हो रही है। लोग अब बाल विवाह से होने वाली परेशानियों से अवगत हो रहे हैं। यही वजह है कि चाइल्ड हेल्पलाइन १०९८ की फोन की घंटी हमेशा बजती रहती है। उन्होंने बताया जैसे ही हेल्पलाइन कार्यालय में किसी जगह से बाल विवाह की सूचना मिलती है तुरंत उस जिले के कलक्टर को अलर्ट कर दिया जाता है। फिर प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचकर बाल विवाह रुकवा देते हैं। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की सूचनाएं ग्राम्यांचलों मे अधिक हो रही है। स्कूली विद्यार्थियों से उनको अमुक सूचनाएं मिलती है।
मां-बाप की जवाबदेही जरूरी
रिटायर्ड जिला बाल संरक्षण अधिकारी शिवा जयकुमार के अनुसार राज्य और महानगर में बढ़ रहे बाल-विवाह की मुख्य जवाबदेही उनके माता-पिता की है। वे अपने बच्चों खासकर बेटियों की सुरक्षा के प्रति बेहद चिंतित होते हैं। वे अंतरजातीय विवाह को लेकर भी शंकित रहते हैं। लिहाजा कम पढ़े लिखे परिवारों में छोटी उम्र में शादी के मामले सामने आते हैं। पिछले कुछ वर्षों में सरकार सहित कई स्वयंसेवी संस्थाएं बच्चों के अधिकार और उनकी जीवन रक्षा के लिए आगे आई हैं। इसके बावजूद बाल-विवाह की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक है।
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