न्यायाधीश आर. सुबय्या व न्यायाधीश आर. पोंगैअप्पन की विशेष न्यायिक पीठ ने एडवोकेट ज्ञानशेखर की जनहित याचिका पर गुरुवार केा सुनवाई की।
गृह मंत्रालय की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल जी. राजगोपालन ने जवाबी शपथपत्र दायर किया। शपथ पत्र के अनुसार केंद्र सरकार कोविड-१९ संक्रमण पर काबू पाने के ठोस उपाय कर रही है। सरकार के लिए देश तथा विदेशों में बसे भारतीयों का हित सर्वोपरि है। भारत से जुड़ी पड़ोसी देशों की सीमाओं को सील कर दिया गया है। अंतर्देशीय और अंतर्राष्ट्रीय उड़ान सेवाएं भी रोक दी गईं हैं।
केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि कुछ देशों में बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की मौत दर्ज हुई है। ऐसे में इन मुल्कों के यात्रियों की जान खतरे में पडऩे की आशंका है। इन संक्रमित देशों से भारत के विविध राज्यों में यात्रियों के आने से १.३० अरब की आबादी वाले भारत में संकट पैदा हो सकता है। भारत में लॉक डाउन के वक्त उनको वापस लाने के उपाय भी नहीं किया जा सकते।
वादी पक्ष के वकील ने कहा कि मलेशियाई सरकार ने भारत में फंसे उनके नागरिकों की वतन वापसी के लिए विशेष विमान भेजा था। जबकि भारत वहां अटके देश के नागरिकों को लाने के कोई उपाय नहीं कर रहा है। उनके मुवक्किल मुलैनाथन ने ४ अप्रेल को फोन किया था वे पर्यटन वीजा पर मलेशिया गए थे। अब देश में लॉक डाउन की वजह से वे लौट नहीं पा रहे हैं। उनके जैसे ३५० भारतीय मलेशिया में फंसे हैं जिनको कोविड-१९ के संक्रमण की वजह से फ्लाइट नहीं मिल रही है।
बेंच ने केंद्र सरकार का जवाब दर्ज करने के बाद सुनवाई २ सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।