चेन्नई के शहरी इलाके का इलाका चिंताद्रीपेट भी ऐसे ही इलाकों में शुमार है जिसमें बसे लोग भारी बारिश एवं भूमिगत जलस्तर ऊंचा आने के बावजूद टैंकर युग से उबर नहीं पाए हैं। इलाके की अरुणाचलम स्ट्रीट, न्यूबंगला स्ट्रीट समेत अनेक स्ट्रीट्स में पानी की अभी भी किल्लत बरकरार है। स्थानीय महिलाएं बताती हैं कि बोरेवेल के पानी का उपयोग सिर्फ शौचालयों में किया जा सकता है। वह पीने लायक नहीं है। नमकीन होने के कारण इस पानी से तो कपड़े भी नहीं धोये जा सकते। न्यू बंगला स्ट्रीट की लारेंस वेनिशा बताती है कि बारिश होने के बावजूद कुओं में जलस्तर ऊंचा नहीं आया है। अभी भी बारिश का इंतजार है, इस इलाके के लिए तो यह बारिश तो ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही लगती है। अरुणाचला स्ट्रीट निवासी दीपा रंगनाथन कहती है कि यदि हर दिन शाम में टैंकर नहीं आता है तो इस इलाके में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है क्योंकि नहाने, धोने और अन्य कार्यों के लिए पानी की आपूर्ति टैंकर से ही होता है।
पानी की किल्लत चिंताद्रिपेट और एगमोर की झुग्गियों में निवास कर रहे लोगों केे लिए ही नहीं है अपितु वल्लूरकोट्टम, कोलत्तूर, पुरुषवाक्कम, रायपुरम, काशीमेडु सरीखे कई इलाके ऐसे हैं जहां अभी भी पानी की किल्लत है और वहां के बाशिंदे टैंकर लॉरी पर निर्भर हंै। मिली जानकारी के अनुसार कोलत्तूर की कई गलियों में अभी भी पीने के पानी की आपूर्ति टैंकर के जरिए ही पूरी की जाती है।, वल्लूरकोट्टम इलाके में भी लोगों को टैंकर का इंतजार करना पड़ता है। काशीमेडु और रायपुरम की कई स्ट्रीटों में पानी की आपूर्ति टैंकर से ही हो पाती है।