पिछले साल की तुलना में 10% अधिक
निगम में इस साल ,अब तक 700 करोड़ का कर जमा हुआ है। जो कि पिछले वित्त वर्ष की अब तक की तुलना में 300 करोड़ रुपए अधिक है। एक मुद्दा यह भी है कि रोलबैक के कारण यह 400 करोड़ तक कम हो जाएगा। इसलिए इस बढ़ोत्तरी से निगम को कोई फायदा नहीं हुआ है।
कैशलैस ने दी सुविधा
संशोधित कर का भुगतान करने वालों को अगले भुगतान में कम की जमा करना होगा। निगम अधिकारियों ने बताया कि कैशलैस भुगतान के कारण ये वृद्धि हुई है। करदाताओं ने ऑनलाइन और ई- सेवा का लाभ उठाया है।
दूसरे शहरों की तुलना में है कम
करदाताओं ने शिकायत की थी संपत्ति कर में संशोधन बहुत अधिक है। इस पर अधिकारियों का कहना था कि ये संशोधन दूसरे मेट्रो मुम्बर्ई और बैंगलुरु की तुलना में कम है। ये आवासीय संपत्ति के लिए 50 पैसे से लेकर व्यावसायिक संपत्ति के लिए 18 रुपए तक है। जो कि क्षेत्र के आधार पर तय होता है और क्षेत्र के रख रखाव के लिए उपयोग में लाया जाता है।
चेन्नई में मुख्य क्षेत्रों में 1998 के बाद संशोधन नहीं किया गया। अंबात्तूर और अलन्दुर क्षेत्र को 2011 में निगम में जोडऩे पहले ही के वहां के निवासी स्थानीय निकाय को उच्च दर का भुगतान कर रहे थे।
निगम का मासिक खर्च 130 से 150 करोड़ होता है। इसके लिए राज्य और केन्द्र से लग भग 70 करोड़ मिलता है। बाकी राशि के लिए संपत्ति कर से ही इकट्ठा किया जाता है।
12 लाख है संपत्तिकर दाता
महानगर में 12 लाख संपत्तिकर दाता है। चेन्नई ग्रेटर कार्पोरेशन जल्द ही करदाताओं को 1 अप्रेल 2018 की दरों के अनुसार कर जमा करने के लिए प्रेरित करते हुए अभियान चलाएगा।