राज्य के ३१ जिलों में की सरकारी और निजी स्कूलों में ५ से १६ वर्ष तक की आयु के विद्यार्थियों के नामांकन, तमिल भाषा को सीखने और समझने की योग्यता तथा गणित की समझ को लेकर किए गए सर्वे के बाद असर की यह रिपोर्ट सरकारी उपायों को बेअसर साबित करती है। यह हाल तब है जब राज्य के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करने का दावा किया जा रहा है। नए सिलेबस तय करने की बात हो रही है। स्कूल की शिक्षण व्यवस्था पर प्रभावी रूप से कार्य किए जाने के दावे किए जा रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार स्कूल में नामांकन की दृष्टि से ६ से १६ वर्ष तक के विद्यार्थियों करीब तीस फीसदी हिस्सा निजी स्कूलों में अध्यापन कर रहा है। औसतन ६५ फीसदी किशोर-किशोरियां सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। प्री-स्कूल की बात की जाए तो आंगनबाड़ी में नामांकन ६१.१ फीसदी है लेकिन चार साल के ४७.२ फीसदी बच्चे निजी प्रि-स्कूलों अथवा किंडरगार्डन में हैं।