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आठवीं कक्षा के 83 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते पहली का पाठ!

locationचेन्नईPublished: Jan 18, 2019 04:49:43 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

असर रिपोर्ट – 2018

83 percent of eighth grade children can not read first class lesson

आठवीं कक्षा के 83 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ पाते पहली का पाठ!

चेन्नई. शिक्षा के क्षेत्र में तमिलनाडु ने हमेशा अच्छा करने की कोशिश की है। करोड़ों रुपए का बजट आवंटन, मुफ्त पाठ्य पुस्तकों समेत अन्य सुविधाओं का वितरण सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता भी है। निजी क्षेत्र में भी हजारों स्कूल है जिनमें लाखों विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इतना सबकुछ होने के बाद भी शिक्षा के स्तर को दर्शाने वाली एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) २०१८ में प्रकाशित तथ्य नींद उड़ाने वाले हैं।

राज्य के ३१ जिलों में की सरकारी और निजी स्कूलों में ५ से १६ वर्ष तक की आयु के विद्यार्थियों के नामांकन, तमिल भाषा को सीखने और समझने की योग्यता तथा गणित की समझ को लेकर किए गए सर्वे के बाद असर की यह रिपोर्ट सरकारी उपायों को बेअसर साबित करती है। यह हाल तब है जब राज्य के विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करने का दावा किया जा रहा है। नए सिलेबस तय करने की बात हो रही है। स्कूल की शिक्षण व्यवस्था पर प्रभावी रूप से कार्य किए जाने के दावे किए जा रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार स्कूल में नामांकन की दृष्टि से ६ से १६ वर्ष तक के विद्यार्थियों करीब तीस फीसदी हिस्सा निजी स्कूलों में अध्यापन कर रहा है। औसतन ६५ फीसदी किशोर-किशोरियां सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। प्री-स्कूल की बात की जाए तो आंगनबाड़ी में नामांकन ६१.१ फीसदी है लेकिन चार साल के ४७.२ फीसदी बच्चे निजी प्रि-स्कूलों अथवा किंडरगार्डन में हैं।

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