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पापों का अल्पीकरण करने का प्रयास करें

locationचेन्नईPublished: Jan 14, 2019 07:12:41 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

आचार्य महाश्रमण ने दिया उद्बोधन

acharya mahasharman pravachan

पापों का अल्पीकरण करने का प्रयास करें

पापनाशम. यहां गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल में विराजित आचार्य महाश्रमण ने कहा संसार में रहने वाला आदमी अपने दैनिक कार्यों में कुछ न कुछ पाप कर लेता है। गृहस्थ जीवन में रहते हुए पूर्णतया पाप से बचाव तो संभव नहीं है। गृहस्थ को चाहिए कि वह जितना पापों का अल्पीकरण हो सके, उसे करने का प्रयास करना चाहिए। जैन धर्म में अठारह पाप बताए गए हैं। प्रणतिपात, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, राग-द्वेष आदि इन अठारह पापों को जानकर पापों से अपना बचाव करने एवं पापकारी प्रवृत्तियों से बचते हुए अपनी आत्मा का कल्याण करने का प्रयास करें।

गौरतलब है कि इसी पापनाशम में आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर का जन्म हुआ था। इसलिए आचार्य का यहां आना लोगों को और अधिक हर्षित कर रहा था।

आचार्य ने कहा आदमी बात-बात पर झूठ बोलता है। आदमी कभी लोभ में तो कभी गुस्से में तो कभी हास्य में झूठ बोलता है। जितना हो सके झूठ के प्रयोग तथा अनावश्ययक रूप से होने वाली हिंसा से भी बचने का प्रयास करेें। हरी घास से बचकर चलने, जमीकंद आदमी का त्याग कर आदमी दैनिक जीवन में होने वाली अनाश्यक हिंसा से बचें। चोरी और गुस्से से बचाव कर भी अनावश्यक हिंसा से बचा जा सकता है। पापों से युक्त आत्मा भारी जो गर्त की ओर जाने वाली और पापों से मुक्त आत्मा हल्की होती है तो ऊध्र्वागमन कर सकती है। इस प्रकार आदमी को पापों को जानकर और उनसे बचने का प्रयास करें। इस मौके पर स्कूल के प्रधानाध्यापक मणि अर्सन तथा स्थानीय लायंस क्लब के मंत्री एस. पार्थिबन ने आचार्य के दर्शन किए एवं विचार व्यक्त किए।

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