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गुरुमुख से श्रवण करने से प्रशस्त होगा मोक्ष का मार्ग

locationचेन्नईPublished: Jul 09, 2019 05:50:49 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

आचार्य तीर्थभद्रसूरीश्वर ने कहा खुद में रहे दोष जब समझ में आएंगे तो परमात्मा के प्रति श्रद्धा भाव पैदा होगा

acharya teerthbhadrasurishwar pravachan

गुरुमुख से श्रवण करने से प्रशस्त होगा मोक्ष का मार्ग

चेन्नई. किलपॉक में रंगनाथन एवेन्यू स्थित एससी शाह भवन में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य तीर्थभद्रसूरीश्वर ने कहा खुद में रहे दोष जब समझ में आएंगे तो परमात्मा के प्रति श्रद्धा भाव पैदा होगा। दुनिया को सुधारने से पहले हमें खुद से शुरुआत करनी चाहिए। नमस्कार का मतलब समर्पण होता है। नमस्कार से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। उन्होंने कहा प्रकृति का नियम है आप जिनको नमन करोगे आप भी वैसे बन जाओगे।

अहंकार की भावना के साथ नमस्कार कभी नहीं हो सकता है। अपनी अपूर्णता को स्वीकार करना बहुत बड़ी बात है। नहीं तो आत्मविश्वास के साथ आगे नहीं बढ़ पाएंगे, आत्मविकास नहीं कर पाएंगे। अपनी गलती बताने पर मन में दूसरों के प्रति रोष पैदा होता है। उन्होंने उपमिति भव प्रपंचा नामक ग्रंथ की विवेचना करते हुए बताया कि जिस प्रकार दूरी नापने के लिए मील का पत्थर उपयोग करते हैं उसी प्रकार आत्मविकास के लिए पैमाना मापने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा जिनागम में चार प्रकार के अनुयोग बताए गए हैं चरणकरणानु योग, द्रवाणु योग, गणिताणु योग और धर्मकथानु योग। इनका अध्ययन करने के लिए सूक्ष्म बुद्धि की आवश्यकता है। संसार में धर्मकथा का बहुत महत्व है। धर्मकथा द्वारा कोई बात करने से जल्दी समझ में आ जाती है। यदि प्रभु के प्रति श्रद्धा भाव है तो उनके वचन पर भी श्रद्धा होनी चाहिये। आचार्य ने कहा समय के साथ नई समस्याएँ खड़ी होती है।

आज हरेक को पढऩे में ज्यादा रुचि है श्रवण करने में नहीं। गुरु मुख से श्रवण करने से आत्म कल्याण व मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होगा क्योंकि गुरु के मुख से शब्द के साथ भाव निकलते हैं । आत्म साधना के शब्द भाव से युक्त होते हैं जिससे हृदय में संवेदना प्रकट होती है । श्रवण के लिए हमेशा जिज्ञासा होनी चाहिए। जिनवाणी श्रवण से बुद्धि, दुख व पाप का बोझ हल्का हो जाता है।

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