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कालाबाजारी की शिकायतों के बाद अब सरकार निजी अस्पतालों को सीधे रेमडेसिविर की करेगी आपूर्ति

locationचेन्नईPublished: May 16, 2021 06:10:18 pm

Submitted by:

Vishal Kesharwani

राज्य भर में कोरोना मरीजों के इलाज में उपयोग होने वाले रेमडेसिविर की कालाबाजारी की शिकायतों के बाद

कालाबाजारी की शिकायतों के बाद अब सरकार निजी अस्पतालों को सीधे रेमडेसिविर की करेगी आपूर्ति

कालाबाजारी की शिकायतों के बाद अब सरकार निजी अस्पतालों को सीधे रेमडेसिविर की करेगी आपूर्ति


चेन्नई. राज्य भर में कोरोना मरीजों के इलाज में उपयोग होने वाले रेमडेसिविर की कालाबाजारी की शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने रविवार को घोषणा किया है कि निजी अस्पतालों को सीधे रेमडेसिविर की आपूर्ति करने के लिए एक वेब पोर्टल लांच की जाएगी। यह प्रक्रिया 18 मई से शुरू होगी। यहां जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार मेडिसिन के आवंटन के बाद अस्पताल के प्रतिनिधि आकर दवा प्राप्त कर सकते हैं और यह सिर्फ ऑक्सीजन सपोर्ट पर होने वाले मरीजों को ही प्रदान की जाएगी। दवाओं की कालाबाजारी रोकने समेत अन्य कारणों से डीएमके सरकार ने यह निर्णय लिया है। दवा की बिक्री वाले स्थानों पर भीड़भाड़ और सामाजिक दूरी का उल्लंघन पहला कारण है।

 

इसके अलावा मरीजों के परिजनों द्वारा अधिक पैसे देकर इसको प्राप्त करने का भी कारण शामिल है। मौके का फायदा उठाते हुए विक्रेताओं द्वारा अधिक पैसा वसूला जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ऑक्सीजन सपोर्ट पर होने वाले मरजों के लिए ही यह दवा सहायक है। कोरोना का इलाज करा रहे अन्य मरीजों के लिए यह उपयोगी और जरूरी नहीं है। लेकिन सभी प्रकार के मरीज के परिजन इसे प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। विज्ञप्ति में आगे बताया कि दवा के आवंटन के लिए आवेदन कैसे करें, इसके बारे में भी विवरण जल्द ही साझा किया जाएगा। अस्पतालों को सलाह दी गई है कि वे मरीजों को दवा देते समय सावधानी बरतें और केवल उन लोगों को ही यह दवा दें जिसके लिए सच में यह जरूरी है। इस दवा की कालाबाजारी को रोकने के लिए भी स्वास्थ्य विभाग सतर्क हुई है।

 


-नेहरु स्टेडियम में अनियंत्रित हुई भीड़ के कारण सरकार ने लिया निर्णय
सरकार का यह निर्णय उस वक्त सामने आया है जब शनिवार को ही कोरोना मरीजों के हजारों रिश्तेदार और अन्य लोग रेमेडिसिविर लेने के लिए नेहरु स्टेडियम में पहुंचे थे। इस दौरान सामाजिक दूरी का पूरी तरह से उल्लंघन किया गया था। कई डॉक्टरों, विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि रेमेडिसिविर ड्रग जान बचाने में सहायक नहीं है, के बावजूद इसकी मांग काफी हद तक बढ़ गई है।

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