अपील को वापस लेने से इंकार करते हुए न्यायाधीश एस.एम. सुब्रमणियम ने कहा याचिका वर्ष 2015 से लंबित है। अगर अभिनेता की नियत अच्छी होती तो वे 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को सुलझाने के बाद ही इसका भुगतान कर देते। लेकिन मद्रास हाईकोर्ट द्वारा मामले पर आदेश पारित करने के लिए सूचीबद्ध करने के बाद याचिका को वापस लेने की मांग की जा रही है। न्यायाधीश ने कहा कर भुगतान करने वालों के पैसे से तैयार हुई सड़कों पर अभिनेता लक्जरी कॉर चलाएंगे। यहां तक कि एक दूध विक्रेता और एक दिहाड़ी मजदूर भी अपने द्वारा खरीदे गए हर लीटर पेट्रोल पर टैक्स चुका रहा है।
लेकिन कभी भी इस तरह के लोग कोर्ट में आकर कर छूट की मांग नहीं करते हैं। कम से कम मैंने अपने अनुभव में ऐसी दलील नहीं देखी हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोर्ट जाना लोगों का अधिकार है, लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में हस्तक्षेप कर सुलझाने के बाद कर का भुगतान कर अपील को वापस ले लेनी चाहिए थी। क्या धनुष को पता है कि परेशान करने वाला मुकदमा अधिनियम नामक एक अधिनियम भी है। ऐसी लंबित याचिकाओं की वजह से कोर्ट वास्तविक मुद्दों को तय करने के लिए समय आवंटित करने में असमर्थ होता है। उन्होंने संबंधित वाणिज्यिक कर अधिकारी को अभिनेता द्वारा लंबित कर का भुगतान करने की मांग के साथ अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया। उसके बाद आदेश पारित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गत 13 जुलाई को उच्च न्यायालय ने अभिनेता विजय के खिलाफ कर छूट की मांग करने वाली एक समान याचिका को खारिज करते हुए कई प्रतिकूल टिप्पणियां की थी। हालांकि विजय द्वारा दायर एक अपील में अदालत की एक खंडपीठ ने उस आदेश पर रोक लगा दी थी।