अडयार स्थित आवास पर उन्होंने विधानसभा स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित किए गए १८ विधायकों से चर्चा की। वे सभी सुबह ही उनके आवास पर आ चुके थे। हाईकोर्ट की प्रथम पीठ ने दल-बदल निरोधी कानून के तहत अलग-अलग फैसला दिया। अब अंतिम फैसला तीसरे जज का होगा जिसकी नियुक्ति होनी है।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद दिनकरण पत्रकारों से मिले। उन्होंने कहा कि इस विरोधी सरकार को हाईकोर्ट से कुछ और मोहलत नसीब हुई है।
दिनकरण ने कहा कुछ महीने पहले पुदुचेरी विधानसभा के स्पीकर के आदेश को खारिज करने वाले मुख्य न्यायाधीश ने १८ विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले में विपरीत आदेश दिया है, जो कि आश्चर्यजनक है। हमें उम्मीद है कि तीसरे जज का फैसला उनके पक्ष में होगा।
आर. के. नगर विधायक ने कहा इस खंडित फैसले से उनको कोई नुकसान नहीं हुआ है।
अयोग्य घोषित किए गए १८ विधायकों समेत हम २१ जने एक साथ हैं। अगर फैसला हमारे खिलाफ भी आता है तो हम एकजुट ही रहेंगे। यदि मैं उनको जाने को भी कहूं तो वे मेरा साथ नहीं छोड़ेंगे। धन अथवा सम्पत्ति के लिए विधायक पद गंवाने वाले मेरे साथ नहीं हैं। जनता की नापसंद इस सरकार को कुछ और समय मिल गया है।
मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को 18 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में लगभग पांच महीने के इंतजार के बाद फैसला सुना दिया। इस मामले में हाईकोर्ट की प्रथम पीठ ने खंडित फैसला सुनाया है। न्यायाधीशों में राय नहीं बन पाई। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने जहां विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल द्वारा विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को बहाल रखा, वहीं दूसरे जस्टिस सुंदर ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने के खिलाफ फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश बनर्जी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने अपने फैसले के लिए कारण बताया था जिसमें अदालत कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती। जस्टिस सुन्दर ने अलग राय रखते हुए कहा कि वे मुख्य न्यायाधीश के विचार से सहमत नहीं हैं।