29 अप्रैल को तमिलनाडु विधानसभा ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया जिसमें केंद्र सरकार से राज्य को मानवीय आधार पर आवश्यक वस्तुओं, दवाओं को श्रीलंका भेजने की अनुमति देने का आग्रह किया गया।
स्टालिन ने राज्य सरकार के बदले हुए रुख का संकेत देते हुए प्रस्ताव पेश किया था। इससे पहले राज्य की द्रमुक सरकार ने केंद्र से केवल श्रीलंकाई तमिलों को जरूरी सामान भेजने की अनुमति मांगी थी। प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए द्वीप राष्ट्र जो वर्तमान में सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है, स्टालिन ने कहा कि हमें मदद उधार देनी होगी।
श्रीलंकाई तमिलों को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के अपने पहले के फैसले का उल्लेख करते हुए स्टालिन ने कहा कि उस द्वीप राष्ट्र में तमिलों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा था कि पूरा देश पीडि़त है और सहायता केवल तमिलों को ही नहीं बल्कि समग्र रूप से प्रदान की जानी चाहिए। स्टालिन ने कहा कि राज्य सरकार ने श्रीलंका को 40,000 टन चावल (80 करोड़ रुपये मूल्य), जीवन रक्षक दवाएं (28 करोड़ रुपये) और 500 टन दूध पाउडर (15 करोड़ रुपये) भेजने का फैसला किया है।
जैसा कि राज्य सहायता सीधे श्रीलंका को नहीं भेज सकता है और कोलंबो में केंद्र सरकार और भारतीय उच्चायोग के माध्यम से ही भेजा जाना है, इसलिए यह प्रस्ताव है। बताया जाता है कि जयशंकर ने राज्य सरकार से राहत सामग्री की आपूर्ति में केंद्र सरकार से समन्वय स्थापित करने को कहा था। राज्य सरकार की सहायता से द्वीप राष्ट्र को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की राहत सामग्री में मदद मिलेगी। इससे पहले स्टालिन ने केंद्र से अनुरोध किया था कि वह राज्य को खाद्यान्न, सब्जियों और दवाओं सहित आवश्यक आपूर्ति तुत्तुुकुडी बंदरगाह से श्रीलंका और कोलंबो के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में रहने वाले तमिलों के साथ-साथ बागानों में काम कर रहे लोगों को भेजने की अनुमति दें।