बहरहाल, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायाधीश पीडी आदिकेशवलू की न्यायिक पीठ ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जा रहे १० प्रतिशत आरक्षण की अनुमति नहीं दी है। हाईकोर्ट का विचार था अगर इसकी इजाजत दी गई तो यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ५० फीसदी आरक्षण की सीमा को पार कर जाएगा। इसकी अनुमति इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मामले के निर्णय पर निर्भर करेगी।
इसके बाद हाईकोर्ट ने डीएमके की केंद्र सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका को खारिज कर दिया जो कि इस अकादमिक सत्र से आरक्षण नीति लागू नहीं करने से जुड़ी थी। डीएमके ने अवमानना याचिका में यह भी मांग रखी थी कि केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए कि वह मेडिकल दाखिले के आल इंडिया कोटे में राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ५० प्रतिशत आरक्षण को लागू करे।
इस अर्जी पर केंद्र सरकार ने विरोध दर्ज कराया कि अगर राज्य आरक्षण को लागू किया गया तो दोहरी स्थिति पैदा हो जाएगी। अखिल भारतीय कोटे की सीटों में एससी-एसटी को भी आरक्षण केंद्रीय कानून के तहत ही दिया जा रहा है। अब याची की फरियाद को स्वीकारा गया तो संशय की स्थिति पैदा हो जाएगी।