scriptएक वोट से हारा सरपंच प्रत्याशी लेकिन नहीं भूला जनता से किया वादा | An advocate, who lost the sarpanch election by a single vote, won the | Patrika News

एक वोट से हारा सरपंच प्रत्याशी लेकिन नहीं भूला जनता से किया वादा

locationचेन्नईPublished: Sep 22, 2021 10:10:54 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

-दस साल से झोपड़ी में रह रहे परिवार को दिया नया आशियाना
-आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम की कहानी
-जीते हुए व वादा नहीं निभाने वाले नेताओं के लिए बना मिसाल
-खुद की कमाई से बनवाया घर
-चुनाव हारकर भी जीत लिया हजारों का दिल

एक वोट से हारा सरपंच प्रत्याशी लेकिन नहीं भूला जनता से किया वादा

एक वोट से हारा सरपंच प्रत्याशी लेकिन नहीं भूला जनता से किया वादा

चेन्नई.

ऐसे समय में जब आज के नेता चुनाव जीतने के बाद जनता से किए वादे भूल जाते हैं आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम के एक सरपंच प्रत्याशी ने मिसाल कायम की है। मात्र एक वोट से चुनाव हारने के बाद भी उसने जनता से किए वादे को निभाया। उसने चुनाव हारकर भी यहां की जनता का दिल जीत लिया है। यह कहानी है पेशे से वकील पेडाडा श्रीराममूर्ति की। वे जी सिगाडम मंडल में दावालपेटा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने हाल ही सरपंच का चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने एक वादा किया था। मात्र एक वोट से चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने वादा निभाया और इलाके की जनता का दिल जीत लिया। दरअसल चुनाव प्रचार के दौरान श्रीराममूर्ति कडगना रामुलू के घर गए। रामुलू पिछले दस साल से अपनी पत्नी, चार बेटियों, एक पोती के साथ एक छोटी झोपड़ी में रहते थे। उनकी बेटियां शारीरिक एवं मानसिक रूप से बीमार थी। वे गांव के बाहरी इलाके में रहते थे। उनकी वित्तीय स्थिति इतनी खराब थी कि वे अपना पक्का घर नहीं बना सकते थे। चुनाव प्रचार करने पहुंचे श्रीराममूर्ति से रामुलू ने उनके लिए एक नए घर की मंजूरी का आग्रह किया था। रामुलू की दशा देख श्रीराममूर्ति ने वादा किया कि चाहे वे चुनाव जीते या हारे इस परिवार को एक नया घर दिलाएंगे।
अपनी कमाई से 3 लाख रुपए खर्च कर बनवाया घर

चुनाव हारने के बाद भी श्रीराममूर्ति ने अपने वादे को पूरा किया। रामुलू के परिवार के लिए न्यूनतम सुविधाओं के साथ एक नया घर बनवाया। इसके लिए उन्होंने अपनी कमाई 3 लाख रुपए खर्च किए। रामुलू के अनुसार सरकार ने हमे हाउस साइट दी थी लेकिन पैसा नहीं होने के कारण हम घर नहीं बना सकते थे। हमने अपनी समस्या श्रीराममूर्ति को बताई थी। उन्होंने वादा किया था कि सरकार के जरिए वे घर की मंजूरी दिलाएंगे। लेकिन जब वे चुनाव हार गए तो मेरी भी आशाओं पर पानी फिर गया। इसी बीच मुझे तब आश्चर्य हुआ जब श्रीराममूर्ति ने आगे बढ़कर अपने वादे को पूरा किया और मेरे लिए एक नया घर बनवाया।
हार से नहीं रुक सकती जनसेवा

श्रीराममूर्ति के अनुसार गरीब और जरूरतमंद की सेवा के लिए मैंने राजनीति में आने का फैसला किया। यही मेरा लक्ष्य है। मेरी हार मुझे मेरे लक्ष्य को पूरा करने से नहीं रोक सकती। मैंने रामुलू के लिए अपनी खुद की कमाई से घर बनवाया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो