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सेव उत्पादकों का प्राकृतिक खेती की तरफ रुझान

locationचेन्नईPublished: Aug 21, 2020 07:36:22 pm

– इस साल उत्पादन घटने के आसार, लेकिन बेहतर दाम मिलने की भी उम्मीद

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चेन्नई. इस साल प्रतिकूल जलवायु के चलते सेव का उत्पादन कम रहने के आसार हैं। मौसम की मार के चलते 20 से 25 फीसदी कम उत्पादन की उम्मीद है। तापमान में उतार चढ़ाव का फसल पर असर पड़ा है। हालांकि कम फसल होने पर बागवानों को बेहतर दाम मिलेंगे जिससे उनको नुकसान नहीं होगा। अब अधिकतर सेव उत्पादक प्राकृतिक खेती अपनाने लगे हैं। प्राकृतिक तकनीक में कम इनपुट की जरूरत होती है। प्राकृतिक खेती से उनको बेहतर कीमत भी मिल रही है। हिमाचल में प्राकृतिक खेती को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन के एक अध्ययन में भी पाया गया कि जलवायु परिवर्तन पौधे के लिए आवश्यक भीषण सर्दी के मौसम को प्रभावित कर सेव उत्पादन को कम करेगा। क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन संबंधी स्थिति में गर्मी से निपटने के लिए ऊपरी वायुमंडल में सल्फर हाई आक्साइड छिड़कने का निर्णय किया जा सकता है। इससे एक बड़े बादल की स्थिति बनेगी जो कुछ हद तक सौर विकिरण को रोकेगी और धरती को ठंडा करेगी।
सर्वाधिक उत्पादन कश्मीर में
सेव उत्पादन जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। देश में करीब 50 फीसदी उत्पादन कश्मीर में होता है। दस हजार करोड़ रुपए के बाजार आकार के साथ देश में फलों के कुल उत्पादन का केन्द्रशासित प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा है। जम्मू कश्मीर में करीब एक चौथाई लोगों को रोजगार दे रहा है। हिमाचल प्रदेश में करीब 30 से 40 फीसदी उत्पादन होता है। हिमाचल में शिमला, कुल्लू व किन्नोर में सेव का उत्पादन बहुतायत में होता है। अकेले हिमाचल में सेव अर्थव्यवस्था चार से साढ़े चार हजार करोड़ की है जिससे करीब डेढ़ लाख परिवार जुड़े हैं। उत्तराखंड में भी सेव होती है। अरुणाचल प्रदेश में भी पिछले कुछ समय से सेव की खेती की जा रही है। हालांकि यहां बुनियादी ढांचे का अभाव है।
वार्षिक उत्पादन बीस लाख टन
देश में सेव का अनुमानित वार्षिक उत्पादन करीब 20 लाख टन है। सेव का उत्पादन जम्मू कश्मीर में सर्वाधिक करीब 13 लाख टन, हिमाचल में करीब पांच लाख टन और उत्तराखंड में सवा लाख टन होता है।
सर्वाधिक निर्यात बांग्लादेश को
भारत से करीब 32 हजार टन सेव का निर्यात होता है जिसमें से अधिकांश पड़ोसी देश बांग्लादेश को निर्यात किया जाता है। भारत बांग्लादेश को करीब 26 हजार टन सेव का निर्यात करता है। भारत से नेपाल, चीन, जर्मनी और अमेरिका को भी सेवा का निर्यात होता है।
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