तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम जो वित्त मंत्री भी हैं ने बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना महत्वपूर्ण योजना है जो शहरी गरीबों को घर उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई है। बहरहाल, साझा रियायती आवासीय योजना के तहत लाभान्वितों को डेढ़ लाख रुपए की वित्तीय मदद दी जा रही है जबकि वास्तविक लागत दस लाख रुपए तक पड़ती है।
इस आवासीय इकाई में लाभान्वितों का भी एक लाख रुपए का अंशदान होता है। देखा जाए तो इस केंद्रीय योजना में केंद्र सरकार का अंशदान केवल पंद्रह फीसदी है जबकि तीन चौथाई हिस्सा राज्य सरकार का है। यह उचित होगा कि केंद्र सरकार अपना अंशदान अन्य केंद्रीय योजनाओं के समकक्ष साठ प्रतिशत करते हुए ५.४० लाख रुपए की मदद दे।
राज्य शिक्षा विभाग को केंद्र से नहीं मिले 4474 करोड़!
केंद्र सरकार से राज्य शिक्षा विभाग को 4474 करोड़ रुपए का कोष नहीं मिला है। इस राशि में से 1,574 करोड़ रुपए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के लिए है। इस राशि से पिछले कई सालों में विभिन्न योजनाएं लागू की जानी थी।
बजट पूर्व बैठक में राज्य के लिए बजट की मांग देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि कई शैक्षणिक योजनाएं इससे प्रभावित हो रही हैं। इसमें मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति भी शामिल है जो एससी एसटी के विद्यार्थियों को दी जाती है। इसका कारण केंद्र से कोष का न मिलना है। 1547 करोड़ रुपए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना (अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए) के तहत लंबित है। इसी प्रकार 27 करोड़ रुपए पिछले एक साल से भी अधिक समय से अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए लंबित है। सकल रूप से वार्षिक आवंटन अपर्याप्त है।
उपमुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने कहा यह राशि कम से कम इस साल दोगुना होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार को सर्व शिक्षा अभियान (सभी के लिए शिक्षा) 1,312 करोड़ रुपए का बकाया कोष मिला है। इस योजना का उद्देश्य 14 साल तक की आयु के बच्चों को बुनियादी शिक्षा मुहैया कराना है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजना के तहत 1,588 करोड़ रुपए लंबित हैं। इस योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को माध्यमिक स्तर की शिक्षा मुहैया कराना है। सर्व शिक्षा अभियान एवं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत आवंटित कोष राज्य को प्राप्त हुआ है। हालांकि इन परियोजनाओं को प्रोजेक्ट एप्रूवल बोर्ड ने स्वीकृति दे दी है।
बढ़ाई जाए पेंशन
ओ. पन्नीरसेल्वम ने वित्त मंत्री का ध्यान राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा योजना की तरफ भी खींचा कि इसके तहत वृद्धावस्था पेंशन २०० रुपए और विधवाओं व दिव्यांगों को २०११ से ३०० रुपए मासिक पेंशन दी जा रही है। यह स्पष्ट है कि सामान्य जीवनस्तर के लिहाज से २०० रुपए नाकाफी है। उनका आग्रह है कि केंद्र सरकार पेंशन राशि बढ़ाकर १००० रुपए प्रतिमाह करे।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि तमिलनाडु की तरह अन्य राज्यों से आए मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों और वित्त मंत्रियों ने भी अपने सुझाव दिए है। इन सभी पर सकारात्मक दृष्टि से विचार किया जाएगा तथा २०१८-१९ के बजट अनुमानों के निर्माण के वक्त ध्यान रखा जाएगा।