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मेहमानों से उपहार स्वरूप लिए 400 से अधिक किताबें

locationचेन्नईPublished: Jun 02, 2023 10:26:30 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

-शादी के रिसेप्शन पर आदिवासी छात्रों के मदद की अनूठी पहल

मेहमानों से उपहार स्वरूप लिए 400 से अधिक किताबें

मेहमानों से उपहार स्वरूप लिए 400 से अधिक किताबें

-पहले ही दे दिया था मेहमानों को सुझाव

कोयम्बत्तूर.

यहां के ग्रीन एक्टिविस्ट जवाहर सुब्रमण्यम ने अपनी 26 वर्षीय बेटी की शादी के रिसेप्शन को आदिवासी छात्रों की मदद करने के अवसर में बदल दिया। दरअसल रामनगर के अय्यप्पा सेवा संगम मैरिज हॉल में उनकी बेटी एस वी स्वर्ण प्रभा और एम के तिरुविक्रम को बधाई देने आए मेहमान उपहार के रूप में किताबें लेकर आए।सक्रिय रूप से जल निकायों को पुनर्जीवित करने और पौधे लगाने में लगे जवाहर ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को सुझाव दिया था कि वे उपहार स्वरूप किताबें लेकर आए। फिर क्या था रिश्तेदारों ने यूपीएससी परीक्षाओं को पास करने के लिए कोचिंग मैनुअल, इतिहास की किताबें, आत्म-विकास तमिल साहित्य आदि का उपहार दिया।
शादी के हॉल में बनाया स्टालउन्होंने शादी के हॉल में एक स्टाल बनाया जहां मेहमानों ने विभिन्न विषयों पर 400 से अधिक किताबें भेंट कीं। जवाहर के अनुसार वह उन आदिवासी छात्रों के लिए कुछ करना चाहते थे जो आर्थिक रूप से गरीब हैं और उन्होंने इसके लिए अपनी बेटी की शादी के अवसर का उपयोग किया। जवाहर ने कहा कि लोगों को इस तरह के कार्यों के लिए अपने परिवारों में विवाह, जन्मदिन और अन्य समारोहों का उपयोग करना चाहिए।
जवाहर ने डॉ कलाम फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी किशोर चंद्रन को किताबें इक_ा करने की जिम्मेदारी सौंपी, जिसने शहर के छह निगमों और एक सरकारी स्कूलों में डॉ कलाम पुस्तकालय स्थापित किया है। ट्रस्ट जिला कलेक्टर क्रांति कुमार पाटी और मुख्य शिक्षा अधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के बाद सिरुवानी रोड पर वालपराई, अनाईकट्टी और करुंगा नगर में आदिवासी छात्रों को एकत्रित पुस्तकें वितरित करेगा।किशोर चंद्रन के अनुसार अगर दंपति सहमत हैं तो वे छात्रों को किताबें सौंप सकते हैं। हम छात्रों को पाठ्यपुस्तकों के अलावा पुस्तकों की एक विस्तृत श्रृंखला पढऩे के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं क्योंकि वे अपने बौद्धिक क्षितिज का विस्तार करेंगे और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को लिखने के लिए आत्मविश्वास पैदा करेंगे। हमें मुख्य सचिव वी इरै अंबू और डीजीपी सी शैलेंद्र बाबू जैसे प्रेरक वक्ताओं द्वारा लिखी गई किताबें मिलीं। किताबें बांटने के अलावा हम शिक्षकों से अनुरोध करेंगे कि वे यह सुनिश्चित करें कि छात्र खाली समय में उन्हें पढ़ें।
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