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संक्रमण के दौरान खून की नसों में थक्का बनने से दिल के दौरे का खतरा

locationचेन्नईPublished: May 14, 2021 08:24:17 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

– कोरोना को मात देने के बाद भी सावधानी की दरकार- ऑक्सफोर्ड जर्नल के अध्ययन में आया सामने

Beware of post Covid-19 heart attack!

Beware of post Covid-19 heart attack!

पुरुषोत्तम रेड्डी @ चेन्नई.

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पॉजिटिव होने के बाद स्वस्थ हो चुके लोगों को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोगों की हार्ट अटैक से जान जा चुकी है। ऐसा संक्रमण के दौरान खून की नसों में थक्का बनने से हो रहा है। ऑक्सफोर्ड जर्नल की एक स्टडी में पता चला है कि जो लोग गंभीर रूप से कोरोना से संक्रमित हुए थे। उनमें से करीब 50 प्रतिशत हॉस्पिटलाइज्ड मरीजों का रिकवरी के महीनेभर बाद हार्ट डैमेज हुआ है। इस वजह से रिकवरी के बाद भी मरीज का हार्ट रेट को चेक करना जरूरी है।

खून के थक्कों की वजह से कई बार मौत
एमजीएम हेल्थकेयर के हार्ट फेल्यॉर एंड ट्रांसप्लांटेशन के हैड कंसल्टेंट डॉ. आर. रवि कुमार के अनुसार कोविड-19 का इंफेक्शन बॉडी में इंफ्लेमेशन को ट्रिगर करता है, जिससे दिल की मांसपेशियां कमजोर पडऩे लगती हैं। इससे धडकऩ की गति प्रभावित होती है और ब्लड क्लॉटिंग की समस्या असामान्य रूप से उत्पन्न होने लगती है। कोई कुछ समझे इसके पहले ही ये थक्के मरीज के दिल की मांसपेशियों में जाकर फंस जाते हैं और उसे दिल का दौरा पड़ जाता है। यह दौरा इतना खतरनाक होता है कि कुछ घंटे पहले तक सामान्य नजर आ रहे मरीज की तबीयत अचानक बिगड़ जाती है। खून के थक्कों की वजह से कई बार मौत तक हो जाती है।

आलस्य भी एक कारण
दिल का दौरा केवल कोरोना की वजह से नहीं आ रहे बल्कि लोगों में आलस्य भी इसकी एक प्रमुख वजह है। दरअसल हार्ट अटैक के संकेत को लोग नजरअंदाज करते है, अस्पताल जाकर चेकअप नहीं कराते है। जिस वजह से यह भविष्य में घातक हो जाता है। समय पर इलाज शुरू होने से जान बचाई जा सकती है। अस्पताल में भर्ती 6 लोग ऐसे थे जो कोरोना से संक्रमित थे और उनमें से 3 मरीजों को हार्ट अटैक का दौरा पड़ा।

नए स्ट्रेन के चलते
कोरोना के नए स्ट्रेन की वजह से मरीज के शरीर में अचानक से थक्के बनना शुरू हो जाते हैं, जिन मरीजों को शुगर, गुर्दे की बीमारी, ब्लडप्रेशर या दिल की पुरानी बीमारी होती है उन्हें तो कोरोना की दवाइयों के साथ ही खून पतला करने की दवा शुरू कर दी जाती हैं लेकिन जिन मरीजों को ऐसी कोई बीमारी नहीं है उनमें अचानक से थक्का बनने की वजह से उन्हें दिल का दौरा पड़ जाता है।
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हार्ट फेल होने के लक्षण
– सांस लेने में कठिनाई
– कमजोरी और थकान
– टखनों, और पैरों में सूजन
– अनियमित और तेजी से दिल की धडकऩ
– व्यायाम करने में दिक्कत आना
– लगातार खांसी
– वजन का तेजी से बढ़ जाना
– भूख की कमी
– पेशाब करने की इच्छा बढ़ जाना
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शुरुआत में इलाज से बचने की उम्मीद
शुरुआती स्टेज पर इलाज मिलने पर हार्ट अटैक कंट्रोल किया जा सकता है। जरूरत पडऩे पर लेफ्ट वेंट्रीकुलर असिस्ट डिवाइस प्रोस्यूजर या थैरेपी के साथ हार्ट ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
डॉ. आर. रवि कुमार, हैड कंसल्टेंट, हार्ट फेल्यॉर एंड ट्रांसप्लांटेशन, एमजीएम हेल्थकेयर

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