scriptपुराने कपड़े जलाने की परंपरा | bhogi pongal : Tradition of burning old clothes | Patrika News

पुराने कपड़े जलाने की परंपरा

locationचेन्नईPublished: Jan 14, 2020 09:12:47 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

चार दिवसीय पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है, भोगी पोंगल पर पुरानी वस्तुएं जलाने का प्रचलन है। संपन्नता और सर्दी के मौसम की समाप्ति का त्योहार मनाने के लिए एक बड़ा अलाव जलाया जाता है। कई परिवार घर की पुरानी अनुपयोगी चीजों को अलाव में डालते हैं।

पुराने कपड़े जलाने की परंपरा

पुराने कपड़े जलाने की परंपरा

चेन्नई. तमिलनाडु में भोगी पोंगल के साथ ही चार दिवसीय पोंगल पर्व की शुरुआत हो गई। पहले दिन मंगलवार को भोगी पोंगल के अवसर पर पुराने कपड़े जलाये गए। भोगी पोंगल पर पुरानी वस्तुएं जलाने का प्रचलन है। उत्सव के पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है, और यह उत्सव हिंदू देवता भगवान इंद्र के सम्मान में आयोजित किया जाता है जो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बादलों को उसकी वर्षा देते हैं। संपन्नता और सर्दी के मौसम की समाप्ति का त्योहार मनाने के लिए एक बड़ा अलाव जलाया जाता है। कई परिवार घर की पुरानी अनुपयोगी चीजों को अलाव में डालते हैं।

दूसरे दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है और मीठा पोंगल उनको भेंट किया जाता है। तीसरा दिन पशुओं की देखभाल, पूजा तथा उनकी सेवाओं को मनाने के लिए होता है। मवेशियों को मोती, घंटी, अनाज, और फूलों की माला से सजाया जाता है और इसके बाद उनके मालिक और स्थानीय ग्रामीण उनकी पूजा करते हैं। माट्टू पोंगल के दिन ही ब्राह्मण परिवारों में भाइयों की सुख-समृद्धि की कामना लिए चावल की विविध किस्मों और मीठे पोंगल की भेंट केले के पत्ते पर रखकर चढ़ाई जाती है जिसे कणुपुड़ी रखना कहा जाता है। पोंगल के अंतिम दिन को काणुम कहते हैं। सभी परिवार एक हल्दी के पत्ते को धोकर इसे जमीन पर बिछाते हैं और इस पर एक दिन पहले का बचा हुआ मीठा पोंगल रखते हैं। वे गन्ना और केला भी शामिल करते हैं।

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