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प्रकृति प्रेम की मिसाल है राजस्थान मूल के चेन्नई प्रवासी भोमराज जांगीड़

locationचेन्नईPublished: Jun 04, 2021 10:59:59 pm

प्रकृति प्रेम की मिसाल है राजस्थान मूल के चेन्नई प्रवासी भोमराज जांगीड़- पिता से मिली सीख के बाद अब तक सैकड़ों पौधे लगा चुके- हर विशेष अवसर पर लगाते हैं पौधे- विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष

Bhomraj Jangid

Bhomraj Jangid

चेन्नई. आज जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और हरियाली को लोग तरस रहे हैं। जंगल धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं और उन पर गगनचुम्बी इमारतें खड़ी हो रही है। बड़े शहरों में तो हालात यह है कि पौधे लगाने के लिए जगह तलाश करनी पड़ती है। ऐसे दौर में राजस्थान मूल के चेन्नई प्रवासी भोमराज जांगीड़ के प्रकृति प्रेम की दाद देनी होगी। पर्यावरण एवं हरियाली से उन्हें इतना लगाव है कि वे जहां भी पौधों को लगाने के लिए जगह देखते हैं वहां पौधे लगाने की ठान लेते हैं। अब तक चेन्नई एवं आसपास के इलाकों में वे सैकड़ों पौधे लगा चुके हैं।
बचपन में पिताजी को पौधे लगाते देखा
भोमराज जांगीड ने कहा, जब मैं छोटा था जब जोधपुर जिले में ओसियां के पास स्थित अपने गांव रिणिया में पिताजी को पौधे लगाते देखता था। वे बार-बार उन पौधों के चारों तरफ कांटों रूपी बाड़ करते लेकिन जानवर उन पौधों को खा जाते थे। तब से ही मेरे मन में पौधे लगाने के बारे में विचार आया। फिर मैंने गांव में नीम एवं सरस के पौधे लगाकर शुरुआत की। उसके बाद से लगातार विभिन्न अवसरों पर पौधे लगाने का एक क्रम बन गया। गांव में ही मैंने अलग-अलग किस्मों के कई पौधे लगाए। गांव की श्मशान भूमि में नीम के पौधे लगाए।
चेन्नई के कई इलाकों मे लगा चुके हैं सैकड़ों पौधे
जांगीड़ ने बताया कि चेन्नई में कई जगह मैंने पौधे लगाए। वे आज बड़े हो चुके हैं। पौधों को बड़े होते देखकर खुशी होती है। माधावरम में कई इलाकों में पौधे लगाए हैं। माधावरम में विश्वकर्मा मंदिर के पास भी नीम समेत कई तरह के पौधे लगाए गए हैं। जन्मदिन या किसी पर्व-त्यौहार के मौके पर वे पौधे लगाना नहीं भूलते। अन्य लोगों को भी वे पौधे लगाने की सलाह जरूर देते हैं।
फॉर्म हाउस पर दो हजार से अधिक पौधे
वे कहते है, हर व्यक्ति को अपने जीवन में पौधे जरूर लगाने चाहिए। ये ऑक्सीजन के साथ ही छाया देने में मदद करते हैं। प्राकृतिक संतुलन के लिए पौधे जरूरी है। उन्होंने चेन्नई स्थित अपने घर पर भी गमलों में दर्जनों पौधे लगा रखे हैं। उन्होंने अपने गांव में फॉर्म हाउस बना रखा है जहां करीब दो हजार से अधिक पौधे लगाए हैं। भोमराज जांगीड़ ने अपने गांव के पास ही गोपासरिया से आठवीं तक की पढ़ाई की। उसके बाद 1987 में चेन्नई आ गए। चेन्नई में उनका इंटीरियर कांट्रेक्टर का काम है।

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