चेन्नई

रेड सिग्नल की परवाह नहीं करते बाइक सवार

महानगर में अनेक बड़ी एवं व्यस्त सडक़ें ऐसी हैं जिनके क्रॉसिंग्स पर सिग्नल न हो तो लोग रोड पार करने का इंतजार ही करते रहेंगे। यही नहीं कई ऐसी…

चेन्नईJan 19, 2019 / 11:38 pm

मुकेश शर्मा

Bike riders do not care about red signal

चेन्नई।महानगर में अनेक बड़ी एवं व्यस्त सडक़ें ऐसी हैं जिनके क्रॉसिंग्स पर सिग्नल न हो तो लोग रोड पार करने का इंतजार ही करते रहेंगे। यही नहीं कई ऐसी छोटी सडक़ें भी हैं जो हमेशा वाहनों से पटी रहती हैं इसलिए उनके क्रॉसिंग पर पैदल यात्रियों एवं दूसरी साइड के वाहनों के निकलने के लिए सिग्नल की व्यवस्था है ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना न हो सके।

इतना ही नहीं इन सिग्नल्स पर यातायात पुलिसकर्मी भी होते हैं लेकिन वे अधिकतर या तो वाहन जांच में लगे रहते हैं या फिर किसी कोने में बैठे मोबाइल में वाट्सऐप या फेसबुक खंगालने में व्यस्त रहते हैं। इसका फायदा वाहन चालक खासकर युवावर्ग उठाते हैं वे रेड सिग्नल में भी रोड पार कर जाते हैं जो अन्य वाहन चालकों एवं पैदल यात्रियों के लिए घातक सिद्ध होते हैं। उनकी इस जल्दी में कई बार वाहनों की भिड़ंत हो जाती है तो कई बार यात्री उनके वाहन की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे ही सिग्नलों में शामिल है पूझल जेल क्रॉसिंग का।

पूझल जेल की शुरुआत के बाद से इस क्रॉसिंग पर यात्रियों की आवाजाही में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले यह ओपन क्रॉसिंग था जिससे लोग बेधडक़ आवाजाही करते थे, इसके कारण इस क्रॉसिंग पर हर महीने कई बार दुर्घटनाएं हुआ करती थी।

बढ़ती दुर्घटनाओं पर जाम लगाने के उद्देश्य से यातायात विभाग ने इस क्रॉसिंग पर सिग्नल लगा दिया और पुलिसकर्मी तैनात कर दिया। स्थानीय निवासियों की भी यही मांग थी कि इस क्रॉसिंग पर ट्रेफिक सिग्नल लगा दिया जाए। बिडम्बना यह है कि यहां ट्रेफिक सिग्नल लगाने के बावजूद दुघर्टनाओं में कोई खास कमी नहीं आई। स्थानीय निवासियों की मानें तो हर महीने इस क्रासिंग पर दर्जनों दुर्घटनाएं हो रही हैं।


वाहन चालक नहीं करते सिग्नल की परवाह

बतादें, पूझल ट्रेफिक सिग्नल पर लालबत्ती होने के बावजूद छोटे ही नहीं भारी वाहन भी नहीं रुकते। इनकी चपेट में कई बार अन्य वाहन एवं पैदल यात्री आकर दुर्घटानग्रस्त हो जाते हैं। कई राहगीरों का आरोप है कि इस सिग्नल पर अव्वल तो पुलिसकर्मी रहते ही नहीं हैं और अगर रहते भी हैं तो वे यातायात नियंत्रित करने के बजाय फोन पर बातें करने में व्यस्त रहते हैं।

राहगीरों की जुबानी…

रेड सिग्नल की अनदेखी

शाम छह से नौ बजे तक इस सिग्नल पर पुलिस की तैनाती बहुत जरूरी है। नौकरीपेशा लोग जब कार्यस्थल से लौटते हैं तो वे बिना इंतजार के रेड सिग्नल में भी सडक़ पार कर जाते हैं, लेकिन कोलकाता हाइवे पर तेज रफ्तार से दौड़ते वाहन इस सिग्नल की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहते हैं, जो बेहद खतरनाक है।अमित जैन, बिजनेसमैन, गुलेच्छा कॉलोनी

परेशानी में होते हैं पैदल यात्री

पीक अवर्स में पूझल सिग्नल से हजारों वाहन चालक आवाजाही करते हैं। सिग्नल रेड होने के बाद भी वाहन चालाकों की आवाजाही के कारण पैदल यात्री घबराकर इधर-उधर भागने लगते हैं। इसके कारण कई बार दुघर्टना हो जाती है। पीक अवर्स में यातायात पुलिसकर्मी की तैनाती होनी चाहिए।अनिल शर्मा, बाइक सवार, अयनावरम

सख्ती बरते पुलिस

ट्रेफिक नियम का अवहेलना महानगर के हर चौराहे पर हो रहे हैं। पुलिस का काम सिर्फ मामूल वसुलना रह गया है। उसे वाहन चालकों पर सख्ती बरतनी चाहिए।धर्मवीर, दैनिक यात्री, तिरुवत्तीयूर

खतरा मोल लेते हैं स्वयं वाहन चालक

हम पीक अवर्स में इस सिग्नल पर वाहनों पर नियंत्रण करने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन सर्विस रोड से अचानक मुख्य मार्ग पर आने वाले वाहनों को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। रेड सिग्नल पार करके वाहन चालक स्वयं खतरा मोल लेते हैं। यही कारण है कि अस्त-व्यस्त यातायात के कारण हादसे होते हैं।वेंकटेश, यातायात पुलिसकर्मी

विष्णुदेव मंडल

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