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ट्राइबल यूथ एम्पावरमेंट एंड इंटर्नशिप सम्मेलन में विजेताओं को सम्मान
– राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने किया
चेन्नई. कमजोर जनजातियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए यह जरूरी है कि हम उन पर विशेष ध्यान दें। नीलगिरि की आबादी में ५ प्रतिशत कमजोर जनजातियों के लोग हैं जो छह ग्रुप में बटे हुए हैं। ये लोग कृषि, वन्य उत्पाद समेत अन्य कामों में प्रवीण होते हैं जो आम नागरिक से नहीं होते। उदगमंदलम में रिसोर्स सेंटर फॉर ट्राइबल कल्चर की ६२वीं वर्षगांठ और नावा के संस्थापक पद्मश्री डा. एस. नरसिंम्हन के १०२वें जन्मदिवस पर आयोजित ट्राइबल यूथ एम्पावरमेंट एंड इंटर्नशिप सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने यह बात कही। उन्होंने कहा डा. नरसिम्हन का जीवन प्रेरणास्रोत है उन लोगों के लिए जो निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करना चाहते हैं। कमजोर जनजातियों की सेवा का बीड़ा उन्होंने वर्ष १९५८ में उठाया था जो आज भी जारी है। उनके इस प्रयास से तमिलनाडु के नीलगिरि, कोयम्बत्तूर, ईरोड के अलावा पड़ोसी राज्य केरल एवं कर्नाटक की जनजातियों को भी काफी लाभ मिला। इस मौके पर जनजाति के कल्याण कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए नावा के मेडिकल निदेशक डा. के रामासामी, नावा के शिक्षा निदेशक के. विजय कुमार, जयराज समेत दस लोगों को सम्मानित किया गया।