कन्फर्म का सुखद अहसास तो भारतीय रेल के यात्रियों के लिए स्वर्ग की सैर से कम नहीं होता। अब एक पल के लिए इस प्रक्रिया को उलटकर देखें। आपके चेहरे पर शिकन की रेखाएं अवश्य उभरेंगी कि कंफर्म टिकट आरएसी बन गई। यह भारतीय रेल सेवा में ही हो सकता है।
घटना-1
अम्बत्तूर निवासी आर. जगन्नाथन जो तीर्थाटन पर निकले हैं ने एक महीने पहले चेन्नई से अहमदाबाद के लिए नवजीवन एक्सप्रेस में थर्ड एसी की टिकट कराई। वे भी आम यात्रियों की तरह रोज स्टेटस चैक करते थे। २६ अप्रेल को सुबह वे यह देखकर फूले नहीं समाए कि वेटिंग लिस्ट वाली टिकट आरएसी में आ गई। दोपहर साढ़े तीन बजे तो उनका चेहरा इसलिए चमकने लगा जब उन्होंने पाया कि टिकट कन्फर्म हो चुकी है। अब बस उनको चार्ट सूची तैयार होने और बर्थ आवंटित होने का इंतजार था। वे इत्मीनान से लेटे थे लेकिन सुबह जब भारतीय रेल की एसएमएस सुविधा के संदेश पर नजर पड़ी तो उनको सांप सूंघ गया।
संदेश के अनुसार उनके परिवार के सभी सदस्यों की स्थिति आरएसी पर पहुंच गई और सीट भी आवंटित हो गई। वे मन मसोस कर रह गए लेकिन करते भी क्या। चंद घंटे में ट्रेन रवाना होनी थी सो वे निकल पड़े।
घटना-2
नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर चेन्नई से छपरा जा रहे एक यात्री ने बताया कि उनकी २७ अप्रेल शाम की गंगा-कावेरी एक्सपे्रस की टिकट थी जो उन्होंने दो महीने पहले बुक कराई थी। दो दिन पहले स्टेटस चैक किया तो वह कन्फर्म हो चुकी थी। उनको इस बात की तसल्ली थी कि तेज धूप में सफर आसानी से कटेगा। यात्रा वाली सुबह उन्होंने फिर से पीएनआर जांचा तो आरएसी देख उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई।
उनके लिए काटो तो खून नहीं वाली स्थिति बन गई, लेकिन अवकाश के वक्त बच्चों के साथ जाने की बंदिश की वजह से वे रेलवे को कोसने के अलावा और कुछ नहीं कर पाए। उन्होंने आइआरसीटीसी की हेल्पलाइन से भी संपर्क किया लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। रेलवे के एक अधिकारी ने इसे तकनीकी खामी बताकर पल्ला झाड़ लिया।
रेलवे प्रशासन से उठाएंगे मामला
आपने जो दो उक्त दृष्टांत बताए हैं वे गंभीर हैं जिनसे यात्रियों को असुविधा हुई है। यह रेल उपयोगकर्ताओं के हक का मामला है जिसे रेलवे प्रशासन की अगली बैठक में उठाया जाएगा।
राकेश भंसाली, सदस्य, जोनल रेलवे यूजर्स कमेटी