लेकिन धीरे धीरे कहानी लव स्टोरी, समाज सेवा, खेल और खिलाडिय़ों की महत्ता से भी जुड़ती जाती है। फिल्म की कहानी शुरू होती है सरकार (सुनील शेट्टी) से, जिनका सपना होता है कि उनके अखाड़े का एक पहलवान नेशनल कुश्ती खेले और स्वर्ण पदक जीते।
ऐसे में उनकी नजर एक बच्चे पर पड़ती है, जो भारी बारिश में अकेले तीन लडक़ों की पिटाई कर रहा होता है। सरकार मान लेते हैं कि यही बच्चा उनके सपने को पूरा करेगा।
जब उन्हें पता चलता है कि वह बच्चा अनाथ है, तो सरकार उससे कहते हैं- जब तक दुनिया में इंसानियत है, कोई बच्चा अनाथ नहीं हो सकता। वह उसे घर लाते हैं और अपने बेटे की तरह देखभाल करते हैं। उसे पहलवानी के सभी गुर सिखाते हैं और मंत्र देते हैं कि जो अपनी ताकत पर घमंड करे वह गुंडा, लेकिन जिसके इरादों में ताकत भरा हो वो योद्धा है।
साल दर साल गुजरते हैं और कृष्णा (सुदीप) अपने इलाके का सबसे दमदार पहलवान साबित होता है लेकिन नेशनल खिलाड़ी बनने का सपना अभी भी दूर है। इसी बीच कृष्णा को रुक्मिणी (आकांक्षा सिंह) से प्यार हो जाता है।
इस बात से सरकार बेहद खफा हो जाते हैं क्योंकि उन्होंने कृष्णा को हमेशा सलाह दी थी कि अपना लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ पहलवानी रखे, ना कि प्रेम संबंध में फंसे। नाराज होकर सरकार उसे कभी पहलवानी ना करने का वचन मांगते हैं।
इधर दूसरी ओर देश का नंबर एक रेसलर टोनी (कबीर दुहान सिंह) है, जिसके अहंकार से परेशान होकर उसके कोच को एक ऐसे फाइटर की खोज होती है कि जो टोनी को रेसलिंग में पछाड़ सके। जिसके बाद कृष्णा वापस पहलवानी में उतरता है।
फिल्म का निर्माण स्वप्ना कृष्णा ने आरआरआर मोशन पिकर्स के बैनर तले और जी स्टूडियोज द्वारा किया गया था।