सातवें वेतन आयोग के लिए काम का बहिष्कार
कोयम्बत्तूर में ऐसे कार्मिकों की सं या लगभग 300 व ऐसे पोलाची में 400 है

जिन कार्मिकों को वेतन आयोग का फायदा नहीं मिल रहा वे ग्रामीण डाक सेवक या डिलीवरी एजेंट हैं जो डाक विभाग के प्रत्यक्ष कर्मचारी तो नहीं माने जाते पर गांवों में विभाग की ये ही कर्मचारी रीढ़ हैं
कोयम्ब त्तूर . डाक विभाग के लगभग 1,000 कर्मचारियों ने गांवों में काम करने वाले अपने साथियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ दिलाने की मांग को लेकर काम का बहिष्कार किया। जिन कार्मिकों को वेतन आयोग का फायदा नहीं मिल रहा वे ग्रामीण डाक सेवक या डिलीवरी एजेंट हैं जो डाक विभाग के प्रत्यक्ष कर्मचारी तो नहीं माने जाते पर गांवों में विभाग की ये ही कर्मचारी रीढ़ हैं। कोयम्बत्तूर में ऐसे कार्मिकों की सं या लगभग 300 व ऐसे पोलाची में 400 है।ये ग्रामीण डाकघरों में डाक वितरण एजेंटों के रूप में कार्य करते हैं। उन्हें ग्रामीण डाकघरों में शाखा पोस्ट मास्टर जैसे पदों पर भी तैनात किया जाता है।
अन्य समस्याओं के बारे में गठित कमलेश चंद्र समिति ने 2017 में केंद्र में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी,लेकिन वेतन आयोग अभी तक उनके लिए लागू नहीं किया गया है
वर्ष 2016 में डाक विभाग के कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग को लागू किया गया था। लेकिन ग्रामीण डाक सेवकों के लिए लागू नहीं किया गया था। ग्रामीण डाक सेवकों के वेतनमान व अन्य समस्याओं के बारे में गठित कमलेश चंद्र समिति ने 2017 में केंद्र में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। लेकिन वेतन आयोग अभी तक उनके लिए लागू नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार अभी भी डाक सेवकों को महज 10,000 रुपए प्रति माह का भुगतान किया जा रहा है। यदि सातवें वेतन आयोग को लागू किया जाता है तो उनका वेतन बढ़कर 14,000 हो जाएंगा।साथ ही उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भत्ते जैसे फायदे भी होंगे। डाक विभाग के कार्मिकों ने कहा कि हालांकि हमने सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन की मांग के लिए कई बार प्रदर्शन किया, लेकिन केंद्र ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए बहिष्कार का सहारा लिया।
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