भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल जो इस तकनीक पर कार्य कर रहे हैं ने कहा कि सैनिटेशन के क्षेत्र में खतरनाक वातावरण से हर साल सैकड़ों सफाई कर्मचारी मारे जाते हैं अथवा उनकी सेहत बिगड़ जाती है। यह खुशी की बात है कि भारत सरकार ने इस वर्ष के बजट में सीवर लाइनों और सेप्टिक टैंकों की मानव सफाई को रोकने का संकल्प दिखाया है। हम इस क्षेत्र में रोबोटिक अनुप्रयोगों पर कार्य कर रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीएसआर सहयोग से हमारे शोध समूह ने सेप्टिक टैंक और सीवर लाइन्स के लिए क्रमश: होमोसेप रोबोट व एंडोबॉट विकसित किया है। यह तकनीक व्यापक पैमाने पर उपलब्ध कराई जाए इसके लिए सरकार से समर्थन अपेक्षित है।
वेट एंड वॉच…. कई सालों से सरकार इस तरह की घोषणा करती आ रही है। लेकिन सफाई कर्मचारियों की मौतों का सिलसिला जारी है। तमिलनाडु में पिछले साल १७ लोगों की सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मौत हो गई।
पलनी कुमार, पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया
सर्वाधिक मौतें तमिलनाडु से
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अनुसार दिसम्बर 2022 तक सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के कारण 1,054 लोगों की मौत हो चुकी है। तमिलनाडु में अब तक सर्वाधिक 231 लोगों की मौतें हुई हैं।
राज्य सफाई के दौरान मौतें
गुजरात 153
उत्तरप्रदेश 117
दिल्ली 103
हरियाणा 100
कर्नाटक 86
राजस्थान 38
पश्चिम बंगाल 22