इस घटना के बारे में राजस्व अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों ने पहले तो विरोध किया लेकिन बाद में एम्बुलेंस जाने में भी अड़ंगा डालने लगे। विरोध करने वाले लोगों ने ट्रैक्टर और कचरे का डिब्बा लगाकर रास्ते पर एंबुलेंस को रोक दिया। एंबुलेंस ने दूसरा रास्ता अख्तियार किया तो वहां भी भारी विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने यहां भी रास्ते की खुदाई कर दी थी जिसके कारण एंबुलेंस आगे नहीं बढ़ सकी।
स्थिति यह हो गई कि राजस्व अधिकारियों को मृतक के परिजनों के साथ एंबुलेंस में कई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। इसके बाद भी जाने का रास्ते नहीं मिला तो पेरियाकेंता गांव में शव ले जाने का फैसला हुआ। इसी गांव में कोरोना मृतक को दफनाया गया। कुछ दिन पहले 52 साल के इस व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी जिसके बाद उन्हें तिरुवण्णामलै सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। यहां उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई।
सरकारी अस्पताल में मरीज की स्थिति बिगडऩे के बाद एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल कराया गया। यहां इलाज के दौरान मंगलवार को मरीज की मौत हो गई। मरीज का परिवार मृतक का अंतिम संस्कार अपने गांव मेलेडैयलम में करना चाहता था, लेकिन स्थानीय लोगों के भारा विरोध को देखते हुए पेरियाकेंता गांव में दफनाना पड़ा।