उसी वक्त भूपति ने सोचा क्यों न पूरी कीमत ही एक-एक रुपए के सिक्कों में चुकाई जाए। उस दिन से भूपति विभिन्न स्रोतों से सिक्कों को जुटाने में लग गए। फिर उनको वाहन विक्रेताओं से सिक्कों में भुगतान की आपत्ति का सामना करना पड़ा। वह विवश भी हो गए। फिर अपने मित्रों के साथ शो-रूम तलाशने लगा जहां सिक्कों में भुगतान संभव हो। उनकी यह तलाश अम्मापेट के शो-रूम में पूरी हुई। शो-रूम के अधिकारी सिक्कों में भुगतान लेने को सहमत हो गए।

बोरियों में लेकर गए सिक्के , 10 घंटे लगे गिनने में
फिर अपने मित्रों के साथ शो-रूम तलाशने लगा जहां सिक्कों में भुगतान संभव हो। उनकी यह तलाश अम्मापेट के शो-रूम में पूरी हुई। शो-रूम के अधिकारी सिक्कों में भुगतान लेने को सहमत हो गए। यूट्यूबर भूपति फिर खुशी-खुशी बोरियों में सिक्के लेकर प्रतिष्ठान गए। वहां फर्श पर सारे सिक्कों को ढेर लगाया गया। शो-रूम के कर्मचारियों व अधिकारियों ने करीब 10 घंटे की मशक्कत से इनको गिना। पूरे भुगतान की पुष्टि होने के बाद भूपति अपनी बाइक लेकर वहां से रवाना हुए।