चिकित्सा आयोग के विरोध में प्रदर्शन
कोय बत्तूर. कोय बत्तूर में पांच सौ से अधिक चिकित्सकों व मेडिकल कॉलेज के छात्र -छात्राओं ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक के विरोध में प्रदर्शन किया। चिकित्सकों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक एलोपैथी के खिलाफ है। यह देश की चिकित्सा सेवा को तहस नहस कर देगा। बिल में साझा प्रवेश परीक्षा के साथ लाइसेंस परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव है। सभी स्नातकों को प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा को पास करना होगा। बिल के जरिये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सीटें बढ़ाने और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू करने के लिए संस्थानों को अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इस बिल में आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी की प्रैक्टिस की इजाजत दी गई है। ब्रिज कोर्स को एमबीबीएस के बराबर का दर्जा दिया गया है ।साथ ही नीट परीक्षा का स्तर काफी उच्च रखा गया है, जिससे सिर्फ 40 फीसदी स्टूडेंट ही परीक्षा पास कर पाएंगे। इसको ए स के बराबर दर्जा दिया गया है, जिससे आम छात्र परेशानी में पड़ सकते हैं।
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी लेकिन अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को 6 0 फीसदी सीटों की फीस तय करने का अधिकार होगा। राजकीय चिकित्सक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रविशंकर ने कहा, आयुर्वेदिक चिकित्सकों को एलोपैथी से उपचार का हक दिए जाने का विरोध जारी रहेगा। यह बिल अगर लागू किया गया तो इससे मरीजों की जान खतरे में पड़ जाएगी। साथ ही गरीब छात्रों का चिकित्सक बनने का सपना टूट जाएगा।
कोय बत्तूर. कोय बत्तूर में पांच सौ से अधिक चिकित्सकों व मेडिकल कॉलेज के छात्र -छात्राओं ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक के विरोध में प्रदर्शन किया। चिकित्सकों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक एलोपैथी के खिलाफ है। यह देश की चिकित्सा सेवा को तहस नहस कर देगा। बिल में साझा प्रवेश परीक्षा के साथ लाइसेंस परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव है। सभी स्नातकों को प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा को पास करना होगा। बिल के जरिये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सीटें बढ़ाने और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू करने के लिए संस्थानों को अनुमति की जरूरत नहीं होगी। इस बिल में आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी की प्रैक्टिस की इजाजत दी गई है। ब्रिज कोर्स को एमबीबीएस के बराबर का दर्जा दिया गया है ।साथ ही नीट परीक्षा का स्तर काफी उच्च रखा गया है, जिससे सिर्फ 40 फीसदी स्टूडेंट ही परीक्षा पास कर पाएंगे। इसको ए स के बराबर दर्जा दिया गया है, जिससे आम छात्र परेशानी में पड़ सकते हैं।
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी सीटों का फीस मैनेजमेंट तय करती थी लेकिन अब नए बिल के मुताबिक मैनेजमेंट को 6 0 फीसदी सीटों की फीस तय करने का अधिकार होगा। राजकीय चिकित्सक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रविशंकर ने कहा, आयुर्वेदिक चिकित्सकों को एलोपैथी से उपचार का हक दिए जाने का विरोध जारी रहेगा। यह बिल अगर लागू किया गया तो इससे मरीजों की जान खतरे में पड़ जाएगी। साथ ही गरीब छात्रों का चिकित्सक बनने का सपना टूट जाएगा।