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बीमार, अंधे, वृद्ध, हिंसा से बचाए गए, परित्यक्त पशु पक्षियों की शरणस्थली जिनेंद्र जीवदया केंद्र

locationचेन्नईPublished: Jan 12, 2022 11:07:24 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

 
-पशुओं के लिए डिस्पेंसरी भी
-प्रेम व वात्सल्य की छांव में हंसती खेलती जिंदगी जी रहे 750 से अधिक पशु
-पशुओं के जीवन को बचाने का अद्भूत अभियान

बीमार, अंधे, वृद्ध, हिंसा से बचाए गए, परित्यक्त पशु पक्षियों की शरणस्थली जिनेंद्र जीवदया केंद्र

बीमार, अंधे, वृद्ध, हिंसा से बचाए गए, परित्यक्त पशु पक्षियों की शरणस्थली जिनेंद्र जीवदया केंद्र

चेन्नई.
श्वान, बिल्ली, बकरी व अन्य पशु पक्षियों का एक साथ खेलना, बिल्ली के दूध का श्वान के बच्चे द्वारा पीना, वात्सल्य और प्रेम भरे वातावरण में पशुओं को स्नेह की छांव में हंसते खेलते देखना एक सुखद व व प्राकृतिक वातावरण की अनुभूति कराता है। तिरुवल्लूर जिले के उत्तकोट्टै में अमम्पेट स्थित जिनेंद्र जीवदया केंद्र में कुछ ऐसा ही नैसर्गिक दृश्य देखने को मिलता है। पशुओं के प्रति प्रेम का ऐसा वातावरण विरले ही दृष्टिगोचर होते हैं जहां हवादार सेल्टर में निर्भय होकर पशु पक्षी विचरण करते हैं। इस चंद्राबाई कैम्पस के हरे भरे शांत वातावरण में प्रकृति की गोद में इन जानवरों का लालन पालन अद्भुत है। 18 एकड़ क्षेत्र में फैला यह पूरा क्षेत्र सोलर पावर से अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करता है। यह भूमि सुगालचंद जैन परिवार द्वारा दी गई है। बिजली के पंखे के नीचे हवा खाते पशु और उनके लिए बैठने, सोने के लिए सुन्दर खाट, कम्बल, पलंग, चद्दर आदि की व्यवस्था यहां की गई है। पशुओं के स्वछंद घास चरने के लिए पूरा कैम्पस है। गाय, बैल, घोड़े, बकरी, खच्चर, श्वान, बिल्ली कुल मिलाकर करीब 750 से अधिक पशु यहां रखे हुए हैं। इनमें से 120 से अधिक बिल्लियां एवं 400 से अधिक श्वान हैं। सभी श्वान पालतू रहे हैं। इसके अलावा 125 के करीब गाय और बैल हैं। तालाब में तैरते बत्तख व अन्य पक्षी एवं उनके लिए बने घर नेचुरल खुबसूरती को बयां करते हैं। पहले इन जानवरों को रेडहिल्स में रखा गया था। केंद्र का संचालन पीपुल्स फार एनिमल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
सेल्टर में पशुओं की सेवा में लगी प्रबंध न्यासी डा.शेरानी परेरा कहती हैं यहां रखे गए घोड़े, खच्चर समुद्री बीच व कई अन्य स्थानों पर बीमार अवस्था में पड़े थे। इन्हें छोड़ दिया गया था। उन्हें यहां लाकर उचित देखभाल, चारा देकर एवं इलाज कर स्वस्थ किया गया। कहीं भी परित्यक्त अवस्था में पशु देखने पर लोग उन्हें फोन करते हैं फिर यहां लाकर जानवरों की देखभाल की जाती है। हमारा उद्देश्य उन पशुओं के जीवन की रक्षा करने का है जो बीमार हो जाते हैं या जिन्हें छोड़ दिया जाता है।
ये सभी पशु परित्यक्त कर दिए जाने, बीमार हालात में, घायल अवस्था में एवं वृद्ध होने के कारण लोगों के द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद यहां लाए गए हैं। कई पशुओं को हिंसा एवं निर्दयता से बचाने के लिए छुड़ाकर यहां लाया गया है। सेल्टर की देखभाल में करीब 22 स्टाफ लगे हुए हैं। सेवा की भावना ऐसी की पशुओं (बछड़े) को बोतलों में दूध दिया जाता है। घास के बिछौने लगाए गए हैं। जहां जरूरत है वहां बालू डालकर पशुओं को राहत दी गई है। मदुरै से उनके लिए हरियाली घास मंगाई जाती है। इनके लिए एम्बुलेंस भी है। परिसर में एक डिस्पेंसरी है जहां एक फुलटाइम पशुचिकित्सक बीमार जानवरों का इलाज करते हैं। सेल्टर में निर्माण कार्य अभी भी जारी है। वहां श्वानों के लिए डॉग विल्ला भी बनाया जा रहा है।
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