लेकिन कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो सालों से केंद्र सरकार द्वारा पशुओं के वैक्सीन की आपूर्ति ही नहीं की जा रही है। टीका नहीं होने की वजह से स्थिति ऐसी है कि जिले के कीझा पेरम्बलुर, वतिस्थापुरम और वायलपड़ी में पिछले दस दिनों से मवेशी इस बीमारी से प्रभावित हैं और चारा खाने में असमर्थ हो रहे हैं।
-पैदावार हो सकती है कम
कीझा पेरम्बलुर निवासी पी. अंजलम नामक किसान ने बताया कि मेरे मवेशियों के मुंह और पैरों में छाले पड़ गए हैं। इस कारण उनका खाना बंद है और इससे हमारी पैदावार भी कम हो सकती है। मेरे गांव में इस बीमारी से कम से कम 15 मवेशी संक्रमित हैं। काफी किसानों को पता भी नहीं है कि इस बीमारी को कैसे ठीक करना है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मैं पास के पशु अस्पताल गया तो वहां के डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना की वजह से वैक्सीन की आपूर्ति नहीं हो रही है। इस कारण मवेशी को वैक्टीन देना संभव नहीं है। मैंने अपने मवेशियों की मदद के लिए सिद्धा दवाएं दीं, लेकिन अधिकारियों को नियमित शिविर आयोजित कर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
-तेजी से फैलने वाली है बीमारी
आर. गणेशन नामक दूसरे किसान ने बताया कि एक सप्ताह पहले मेरे मवेशी को भी इसी प्रकार के लक्षण थे। मुंह और पैर की ऐसी बीमारी हैं जो अन्य मवेशियों में भी तेजी से फैल सकते हैं। वैक्सीन नहीं होने की वजह से मैं अपने मवेशियों को लेकर अस्पताल नहीं जा पाया। मुझे वैकल्पिक उपचार के बारे में भी कुछ भी पता नहीं है।
-सिद्धा उपचार की जाएगी प्रदान
पेरम्बलुर पशु पालन संयुक्त निदेशक डी. सुरेश क्रिस्टोफर ने बताया कि महामारी की वजह से केंद्र द्वारा वैक्सीन की आपूर्ति बंद है। तीन महीने पहले सरकार से वैक्सीन आपूर्ति की मांग की गई थी। जिले में इस बीमारी के लक्षण अधिक नहीं है। लेकिन हम लोग घर घर जाकर मवेशियों की जांच करते हैं और इस प्रकार की बीमारी वाले मवेशियों को विकल्प के रूप में सिद्धा उपचार प्रदान किया जा रहा है।