scriptस्टरलाइट प्लांट को लेकर केंद्र व राज्य सरकार ने मिला लिया है हाथ | Center and state government have joined hands on Sterlite Plant issue | Patrika News

स्टरलाइट प्लांट को लेकर केंद्र व राज्य सरकार ने मिला लिया है हाथ

locationचेन्नईPublished: Sep 10, 2018 04:59:14 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने लगाया आरोप

Center and state government have joined hands on Sterlite Plant issue

स्टरलाइट प्लांट को लेकर केंद्र व राज्य सरकार ने मिला लिया है हाथ

चेन्नई. डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने आरोप लगाया है कि तुत्तुकुड़ी स्टरलाइट प्लांट को शुरू करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने साठ-गांठ कर ली है। यहां रविवार को जारी वक्तव्य में उन्होंने कहा कि केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट कि तुत्तुकुड़ी में जल प्रदूषण के लिए स्टरलाइट प्लांट अकेला ही जिम्मेदार नहीं है, पूरी तरह एकपक्षीय है जिसमें स्थानीय लोगों की भावनाएं नहीं है।
बोर्ड की यह रिपोर्ट लोगों को आक्रोशित करने वाली है जो सरासर आलोचनीय है।
स्टालिन ने सवाल किया कि जब प्लांट का मसला विभिन्न अदालतों व एनजीटी में विचाराधीन है तो उसे फायदा पहुंचाने के लिए मनमाने तरीके से अध्ययन कराकर रिपोर्ट कैसे पेश कर दी गई? यह कृत्य राज्य की जनता से शत्रुता निभाने की तरह है। इसे भाजपा सरकार की किसी कार्पोरेट घराने को फायदा पहुंचाने के लिए साढ़े सात करोड़ तमिलों की भावनाओं की बेकद्री के रूप में ही देखा जाना चाहिए।
उन्होंने इस मामले में राज्य की मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन द्वारा आपत्ति जताते हुए केंद्रीय जल संसाधन सचिव को भेजे गए पत्र को नाटक बताया। स्टालिन का आरोप है कि सरकार को खुफिया विभाग से जानकारी मिल चुकी थी कि तुत्तुकुड़ी में ऐसा अध्ययन कराया जा रहा है लेकिन उस वक्त वह चुप रही। ऐसा लग रहा है कि स्टरलाइट को फायदा पहुंचाने के लिए भाजपा और एआईएडीएमके सरकार ने हाथ मिला लिया है।
डीएमके अध्यक्ष ने स्मरण कराया कि प्लांट के खिलाफ आंदोलन में १३ जनों को मारने की जिम्मेदार राज्य सरकार है। हाईकोर्ट के प्लांट को बंद करने संबंधी नीतिगत निर्णय करने के निर्देश की तामील भी अभी तक नहीं की गई है जो दिखाता है कि उसे न्यायालय के आदेश की भी कोई परवाह नहीं है। स्टालिन ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि पर्यावरण और कानून-व्यवस्था के लिए समस्या बन चुके स्टरलाइट प्लांट को निहित स्वार्थ की वजह से फायदा पहुंचाने के लिए कराए गए जल अध्ययन की रिपोर्ट को तुरंत वापस ले लिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह आधिकारिक स्तर पर पत्र भेजने के बजाय इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए स्टे हासिल करे। साथ ही कैबिनेट की बैठक बुलाकर उस रिपोर्ट का निरसन प्रस्ताव पारित करे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो