जयधुरंधर मुनि ने तिन्नानूर स्थित हरकचंद कोठारी के निवास पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि संसार संयोग और वियोग का चक्र है, जहां कभी अपने प्रिय, इष्ट, कांत का संयोग होता है तो उसी का वियोग भी हो जाता है।
चेन्नई•Feb 13, 2019 / 03:21 pm•
Ritesh Ranjan
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